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शामली नगर पालिका चेयरमैन अंजना बंसल को पति व पुत्र का रालोद मे होने का उठाना पड़ा भारी नुकसान पति पूर्व चेयरमैन और पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल रालोद के कद्दावर नेता

 


वही पुत्र अखिल बंसल हे शामली विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार,यदि समय रहते छोड़ दिया होता रालोद को तो तरह-तरह की जांच एवं परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता चेयरमैन को अब सत्तारूढ़ पार्टी ने रालोद में होने के कारण जो जख्म दिए क्या पुत्र को टिकट देकर उन जख्मों पर मलहम का काम करेगा रालोद यदि समय रहते सत्तारूढ़ पार्टी जॉइन कर ली होती तो 5 वर्ष काटते खूब चांदी और शामली का भी जमकर होता विकास विकास में रोड़ा बनी रही सत्तारूढ़ पार्टी शामली के विकास में जो आई कमी क्या  चेयरमैन  पुत्र को विधायक  बनाकर उस कमी को पूरा करना चाहेगी रालोद , स्वामी नगर पालिका चेयरमैन अंजना बंसल इस बार अपने कार्यकाल में अनेकों बार भारी परेशानी एवं जांच से गुजरना पड़ा है इस सब का कोई और कारण नहीं सबसे बड़ा प्रमुख कारण उनका रालोद में होना माना जा रहा है

क्योंकि उनके पति पूर्व चेयरमैन व पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल राष्ट्रीय लोक दल के एक बड़े कद्दावर नेता है इतना ही नहीं अपने पूर्व कार्यकाल में शामली नगर पालिका व विधानसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र में काफी विकास के लिए चर्चित रहे हैं लेकिन ऐसा इस बार क्या हुआ शामली के विकास में जो उन्हें कार्य करने से उनको नहीं कर पा रहे इस सब का वजह है सत्तारूढ़ पार्टी सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा उनको कार्य नहीं करने दिया गया और समय-समय पर अनेकों शिकायत  जांच टीमें गठित करा कर परेशान किया गया । जिसका चेयरमैन में चेयरमैन परिवार में डटकर सामना किया और विपक्ष द्वारा या यूं कहिए कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उत्पन्न की गई सभी बाधाओं को समय-समय पर डटकर मुकाबला करते हुए पार किया लेकिन यदि चेयरमैन परिवार में रालोद को छोड़कर थाम लिया होता सत्तारूढ़ पार्टी का दामन तो ना कोई परेशानी होती ना होती कोई जांच शामली का खूब होता विकास और जमकर काटते चांदी लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया रालोद के वफादार सिपाही बनकर किया गया कार्य अब देखना यह होगा कि उनके द्वारा सत्तारूढ़ पार्टी के ठुकराए के सभी प्रलोभन एवं शामली के विकास की योजनाओं

के बाद भी दबाव में ना आने के बाद रालोद में बने रहने का रालोद क्या देती है नाम क्योंकि पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल के पुत्र अखिल बंसल शामली विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट के है दावेदार अब क्या रालोद 5 साल में उनके परिवार वह माता द्वारा उठाई गई परेशानी एवं तरह-तरह की गई जांच के बावजूद में रालोद का दामन ना छोड़ने और मिले सत्तारूढ़ पार्टी से जख्मों पर उनके पुत्र को टिकट देकर मरहम लगाने का काम करेंगी और शामली में एक बार फिर उनको जो विकास में आई है कमी उस विकास को पूरा करने का मौका देगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा , लेकिन इतना तय है कि यदि इतना सब कुछ सहने के बावजूद भी उनको शामली विधानसभा की सेवा करने का मौका नहीं मिलता तो कहीं ना कहीं उनके साथ नाइंसाफी होगी यदि शामली विधानसभा के समीकरण की बात करें तो समीकरण भी सबसे ज्यादा मजबूत और सटीक बंसल परिवार के पुत्र अखिल बंसल के परिवार में ही बैठता है क्योंकि शामली नगर पालिका परिषद क्षेत्र की वोट व ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय लोकदल की पकड़ किसी से छिपी नहीं है ऐसे में यानी दोनों का संयम बैठता है तो या यूं कहिए कि अखिल बंसल का टिकट होते ही लगभग शामली में रालोद की जिसको सुनिश्चित कहना भी कोई गलत नहीं होगा लेकिन अब टिकट होगा किसको यह तो रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी ही जाने लेकिन इतना तय है कि इतना खुश रहने वाले परिवार को और शामली के विकास में हुई सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के चलते कमी को दूर करने का मौका निश्चित जयंत चौधरी के पास है जयंत चौधरी के पास है इस परिवार को मिले हुए 5 वर्षों में जख्मों पर मरहम लगाने का अब वे मरहम लगाते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि शामली विधानसभा सीट पर रालोद प्रमुख को बहुत सोच समझकर टिकट पर अपना निर्णय लेना होगा क्योंकि इस परिवार ने इन 5 वर्षों में रालोद में रहने की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है इसकी मौत को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

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सियासतदानों की सांसे फुलाती समाजवाद की अबिरल धारा , पापा अरविंद सिंह गोप की छत्रछाया में अबिरल सिंह सीख रहे हैं राजनीतिक दांव- पेंच


कोरोना काल की जनसेवा के बाद पापा की राजनीतिक विरासत की पहरेदारी के लिए बढें कदम, बाराबंकी। रामनगर विधानसभा क्षेत्र में बह रही सरयू नदी के तीरे समाजवाद की अविरल धारा धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। आवाम भी इसे आत्मसात करता दिख रहा है। जबकि यह अबिरल धारा कई सियासतदानों की सांसे भी फुलाती नजर आ रही है? जी हां अपने पापा पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप की छत्रछाया में उनके पुत्र अबिरल सिंह राजनीत के दांव- पेंचों को सीखने में जुटे हुए हैं। अबिरल अपने पिता के राजनीतिक विरासत की पहरेदारी के प्रशिक्षण में दिन-ब-दिन उत्तीर्ण हो रहे हैं। जिसके चलते कई राजनीतिक दरबारों में अंदरूनी स्तर पर हलचलें तेज हो गई हैं। मतलब सियासी ब्लड प्रेशर घट बढ़ रहा है? राजनीति में राजनेताओं के वारिसों का आगमन कोई नई बात नहीं है। देश व प्रदेश के तमाम नेताओं ने अपनी संतानों को अपनी विरासत पर काबिज किया है।

इसमें कई असफल रहे हैं। तो कई राजनेताओं के वारिसों ने अपने को स्थापित कर रखा है। बाराबंकी जनपद  में भी कई राजनेताओं ने अपने पुत्रों व पुत्रियों को राजनीत में उतार कर पार्टी का पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि बनाया है। इसी श्रंखला में प्रदेश के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप के युवा पुत्र अबिरल सिंह भी अपने पिता की उंगली को पकड़कर राजनीति की हर परीक्षा को पास करने की उधेड़बुन में जुटे नजर आते हैं। अत्यंत सरल तथा बड़ों का सम्मान करने में आगे एवं हमउम्र को अपना दोस्त बना देने में माहिर अबिरल सिंह अपने पापा की राजनीतिक विरासत की पहरेदारी को लेकर सतर्क दिखते हैं! कोरोना काल में जमकर जनसेवा करने वाले अबिरल के अंदर सेवा का अविरल भाव भविष्यगत सेवा क्रांति का संकेत देता है। वर्तमान में वे अपने पापा अरविंद सिंह गोप के साथ ज्यादातर राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेते नजर आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संगठन स्तर से लेकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के जितने भी कार्यक्रम आयोजित हुए अविरल अपने पापाश्री  के बगल खड़े नजर आए। जनपद के राजनीतिक घरानों में इस बात की चर्चा है कि गोप अबिरल सिंह को अपने आभामंडल के रहते हुए आगे मजबूती की ओर अग्रसर कर रहे हैं। शायद उन्होंने यह गुण अपने नेता पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से सीखा है।

श्री यादव ने राजनीत में ताकतवर होने के मध्य ही अपने पुत्र अखिलेश यादव को प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित कर दिया था। ऐसे में गोप के दिमाग में क्या चल रहा है! इसकी पड़ताल करने में तमाम राजनीतिक दिमाग खर्च हो रहे हैं। बाराबंकी जनपद के नेताओं की यदि हम बात करें तो कई नेता अपने पुत्रों को विधायक व मंत्री बनवा चुके हैं। इनमें से कई एक बार तो अपने पिता के नाम पर सफल हुए!लेकिन वह अपना कोई व्यक्तित्व नहीं बना पाए? जिसके चलते फिर उन्हें दोबारा राजनीतिक सफलता की हल्दी नहीं लग पाई? कई राजनेता पुत्र जनपद की राजनीति में जल्दी ही अवतरित होने की तैयारी में भी है! तो वही कुछ ऐसे भी राजनेता है जो अपने पुत्र को राजनीति में लांच करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं दिलवा पाए हैं?

  ऐसे में अरविंद सिंह गोप ने मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह सर्वप्रथम अपने पुत्र अबिरल को जमीनी सेवा की ओर अग्रसर किया। कोरोना काल से जनसेवा में जुटे अबिरल ने अब तक आवाम के बीच मदद के कई कदमों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया हैं। पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप का अगला कदम क्या है यह तो फिलहाल वही जानें? लेकिन एक समय में उन्होंने अपने बलबूते पर बाराबंकी जनपद की सभी 6 सीटों पर समाजवादी का परचम लहराया था। उनके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की थीं। जिसे दोबारा हासिल करना अब पार्टी के लिए चुनौती है? गोप समर्पित व  कट्टर समाजवादी हैं ।यह अलग बात है कि अरविंद सिंह गोप के विरुद्ध पार्टी के ही कुछ बेचैन नेता कोई न कोई षड्यंत्र  कभी न कभी किया ही करते हैं?

ऐसे में जरूरी है कि रामनगर विधानसभा क्षेत्र जहां से वह विधायक रहे हैं। वहां की पहरेदारी में उनका परिवारिक  टच गहरा होता रहें।अबिरल इसकी भरपाई  करते नजर आ रहे हैं। जबकि पहले से ही उनके भाई जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह व बबलू सिंह तथा भतीजे हर्षित राजकुमार रामनगर की जनता के बीच काफी घुले मिले हुए हैं। स्पष्ट है कि सरयू के तीरे लगातार बढ़ती समाजवाद की अविरल धारा आवाम में भी आत्मसात हो रही है। यह धारा कई सियासतदानों की सांसो को फुलाती ही जा रही है? जो कई राजनीतिक घरानो अथवा राजनेताओं के लिए  सियासी परेशानी का सबब  है? मतलब सियासी गुणा-भाग का ब्लड प्रेशर घट बढ़ रहा है? जबकि अबिरल धारा है कि बढ़ती ही जा रही है!

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लोकसभा चुनाव में चौधरी अजीत सिंह की हार पर नृत्य करने मिठाई बांटने व बीजेपी कैंडिडेट को चुनाव में आर्थिक मदद करने वाले प्रसन्न चौधरी शामली विधानसभा से आज राष्ट्रीय लोक दल के टिकट के दावेदार

 


क्या लोकसभा चुनाव की वह घटना चौधरी अजीत सिंह की वह हार और उस हार में  प्रसन्न चौधरी के रोल को भुला पाना आसान होगा कल तक जिस पार्टी के मुखिया को हराने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे थे आज उनकी मृत्यु के बाद उन्हीं के पुत्र के द्वार टिकट के लिए लगा रहे हैं चक्कर वाह री राजनीति जिसको कल हराने के लिए जिस पार्टी का वजूद मिटाने के लिए कर रहे थे भरपूर प्रयास आज उसी का कर रहे हैं

गुणगान जिन 3 काले कृषि कानूनों का कल तक करते थे समर्थन आज एक टिकट के लिए उन्हीं का करते हैं विरोध वाह री राजनीति तेरे भी कितने रंग यदि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी मिलता है प्रसन्न चौधरी को शामली विधानसभा से राष्ट्रीय लोक दल का टिकट तो क्षेत्र में क्या जायगा संदेश जानकार सूत्रों की सच माने तो रालोद के बड़े नेता का कहना है कि प्रसन्न चौधरी द्वारा लोकसभा चुनाव में चौधरी साहब के

विरुद्ध किए गए चुनाव प्रचार को पार्टी प्रमुख भूल सकते हैं किसानों के विरुद्ध किए गए प्रचार को किसान भूल सकते हैं लेकिन यदि फिर भी प्रसन्न चौधरी को टिकट मिलता है तो अपनी व्यक्तिगत राय पेश करूं तो इनके द्वारा किए गए कार्य भूला पाना मुश्किल क़ई जाट नेता इनको हराने के लिये ही प्रसन्न के विरुद्ध सामने ही लड़ेंगे चुनाव सभी रालोद के नेता कार्यकर्ता एवं किसानों की निगाह अब टिकी रालोद प्रमुख पर क्या इतना विरोध वाले और चौधरी साहब के विरुद्ध प्रचार करने वाले 

प्रसन्न चौधरी को मिलेगा शामली विधानसभा सीट से टिकट यूं तो आपने अनेकों बार राजनीति में लोगों को पार्टी बदलते हुए देखा होगा लेकिन इस बार कुछ अलग ही नजारे देखने को मिल रहे हैं ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है शामली विधानसभा सीट पर रालोद के टिकट के दावेदार और पूर्व बीजेपी नेता जो जिला पंचायत अध्यक्ष शामली के पति प्रसन्न चौधरी हैं उनके द्वारा लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह जो कि मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ रहे थे उनके सामने

चुनाव लड़ रहे बीजेपी के पूर्व मंत्री संजीव बालियान के समर्थन में वोट ही नहीं मांग रहे थे उनको आर्थिक मदद तक कर रहे थे और उनकी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे चर्चा तो यहां तक भी है कि उनकी जीत के बाद नृत्य करने और मिठाई बांटने से भी पीछे नहीं हटे थे और इतना ही नहीं तीन कृषि कानूनों पर भी किसानों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि यह अच्छे कृषि कानून हैं लेकिन जैसे ही उम्मीद पर पानी फिरता दिखा कि शामली से बीजेपी से टिकट नहीं होगा वैसे ही रालोद का दामन थामते ही चौधरी अजीत सिंह उनकी लाइफ़ प्रेरणा और महान हो

गए और तीन कृषि कानून काले हो गए और जिस नेता की हार पर कल तक खुशी मना रहे थे आज भी उनके नेता हो गए और आज उनके पुत्र वर्तमान राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत उनके नेता हो गए लेकिन जयंत चौधरी के सामने सबसे बड़ी समस्या आज उत्पन्न हो गई है कि यदि वे ऐसे कैंडिडेट को टिकट देते हैं तो उनके कार्यकर्ता जो लोकसभा चुनाव में प्रसन्न चौधरी के कार्यप्रणाली के चलते नाराज थे और कृषि कानूनों के चलते किसान नाराज थे उनको मनाना होगा इतना ही नहीं पूर्व विधानसभा चुनाव में रालोद के कैंडिडेट रहे और शामली

विधानसभा पर जाट वोटरों की संख्या में सबसे बड़े गोत्र के कैंडिडेट बिजेंदर मलिक को साधना भी इतना आसान नहीं होगा कि वह इनका समर्थन कर सके क्योंकि गठवाला खाप के चौधरी का भाजपा में हो किसी से छिपा नहीं है और ऐसे में यदि विजेंद्र मलिक का टिकट कटता है तो निश्चित रूप से रालोद को एक बड़ा नुकसान झेलना होगा और इतना ही नहीं चर्चा तो यह भी है कि रालोद का एक बड़ा नेता का दावा है कि यदि इस तरह के नेता को टिकट दिया गया जो कल तक हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष की हार पर खुशी मनाते थे हार में एक अहम भूमिका निभाने का प्रयास करते थे उनकी हार में आर्थिक मदद तक करने का काम किया हो और किसान आंदोलन को भी शुरुआती दौर में कमजोर करने का काम किया हो यदि हमारी पार्टी द्वारा ऐसे नेता को टिकट दिया जाता है तो हमने दे दिया चुनाव लड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे हम भूल जाएंगे कि

हमारी पार्टी की एक सीट कम होगी लेकिन मायने यह नहीं रखता कि 1 सीट कम होगी मायने यह रखता है कि इस तरह के लोगों की राजनीति खत्म होगी कि कल तक कहीं आज कहीं और जाट समाज व किसानों के बड़ा नेता रहे चौधरी अजीत सिंह जी को हराने में भूमिका निभाने वालों की अकल ठिकाने लगाकर ही सही मायने में चौधरी अजीत सिंह जी को श्रद्धांजलि दी जा सकती है। और यह श्रद्धांजलि देने से हम किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे केवल पैसे के बल पर ही राजनीति नहीं की जा सकती सिद्धांत और आदर्श एवं जमीनी कार्यकर्ता के रूप में ही की जा सकती है राजनीति यह भी साबित करने में हम कामयाब होंगे और यह साबित करने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे यदि इस तरह का दावा सच साबित होता है तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी के सामने आज विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है शामली विधानसभा से किसको दिया जाए टिकट उनके लिए एक चिंता का सबब बन गया है

समय में क्या छुपा है किसको मिलेगा टिकट यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि भाजपा छोड़कर रालोद का दामन थामने वाले  टिकट पाकर शामली विधानसभा सीट से लखनऊ पहुंचने का सपना देखने वाले प्रसन्न चौधरी के सामने राह आसान नहीं होगी रहा हाल तो हम और आप केवल इंतजार कर सकते हैं कि होगा क्या लेकिन जो भी कुछ होगा इस बार कुछ नया ही होगा शामली विधानसभा सीट पर इसीलिए तो चर्चा का विषय में शामिल विधानसभा सीट केवल चर्चा ही नहीं केंद्रीय नेतृत्व के सामने सिरदर्द साबित हो रही है शामली विधानसभा सीट देखना यह होगा कि सर दर्द को कैसे कम कर पाते हैं जयंत चौधरी और किस तरीके से मनमुटाव दूर करेंगे किसान और रालोद कार्यकर्ताओं का किसको मिलेगा शामली विधानसभा का टिकट यह सब अब निर्भर करेगा जयंत चौधरी की नीति सोच और दूरदृष्टि पर।

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खानपुर विधायक कुंवर प्रणव के पिता के वाहन ने हूटर बजाते हुए एक निजी वाहन को मारी टक्कर। वाहन क्षतिग्रस्त।


हरिद्वार । एक बड़ी खबर आपको बता दें कि रुड़की- दिल्ली सड़कमार्ग पर अचानक एक बुलेरो वाहन सँख्या uk 08 S 0123 जोकि हूटर बजाते हुए सड़क पर तेज रफ्तार में दौड़ रही थी अचानक उसने एक प्राइवेट वाहन को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर लिया। आपको बता दें कि वहां मौजूद मीडियाकर्मीयों ने जब बुलेरो वाहन में बैठे व्यक्ति से हूटर के सम्बंध में पूछा तो जानकारी मिली कि वाहन में मौजूद व्यक्ति खानपुर विधायक कुँवर प्रणव के पिता नरेंद्र सिंह  हैं ।

उन्होंने कहा कि मैं पूर्व विधायक हूँ इसलिए गाड़ी पर हूटर लगा सकता हूँ। आपको बता दें कि परिवहन नियमो के मुताबिक कोई भी पूर्व विधायक या विधायक भी वाहन पर हूटर का इस्तेमाल नही कर सकता। आपको बता दें कि अचानक सड़क पर हूटर बजने से क़ई बार अन्य वाहन चालक हड़बड़ा जाते हैं जिससे एक्सीडेंट का भी खतरा बना रहता है। वहीं इस घटना के बाद मौके पर भीड़ इकट्ठा हो गई। क्षतिग्रस्त वाहन के स्वामी ने बताया अचानक हूटर बजाते हुए वाहन ने उनके वाहन को टक्कर मार दी जिससे उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया।

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रालोद प्रमुख के रहमों करम पर टिका है पंकज मलिक का राजनीतिक भविष्य


रालोद प्रमुख के लिए आसान नहीं होगा पूर्व में दिए गए पिता व पुत्र द्वारा झटके उसको भूलना पंकज मलिक के पिता हरेंद्र मलिक पूर्व राज्यसभा सदस्य द्वारा राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख चौधरी अजीत सिंह को उनको राजनीतिक कैरियर की शुरुआत में दिया गया था बड़ा झटका उनके मुख्यमंत्री बनने में बने थे रोड़ा, हरित प्रदेश की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन में भी नहीं दिया था साथ, 2009 के लोकसभा चुनाव में भी हरेंद्र मलिक पर राष्ट्रीय लोक दल कि मुजफ्फरनगर लोकसभा से प्रत्याशी अनुराधा चौधरी को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका की हुई थी चर्चा, 2010 मुजफ्फरनगर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल समर्थित उम्मीदवार गौरव त्यागी को ऐन वक्त हरवाने में निभाई थी मुख्य भूमिका जिससे नाराज हुए रालोद सुप्रीमो, सब कुछ भुला कर रालोद प्रमुख नेता कार्यकर्ता एवं रालोद समर्थकों के द्वारा पंकज मलिक को वोट देना आसान नहीं होगा क्योंकि नहीं भूल पाए 2017 के विधानसभा चुनाव में पंकज मलिक द्वारा टिकट की नौटंकी, पंकज मलिक के लिए शामली विधानसभा भी नहीं होगी आसान क्योंकि गठवाला खाप के बाबा राजेंद्र मलिक निषाद निषाद राजवीर मलिक थानेदार की बीजेपी से नजदीकियां जगजाहिर है।

और इतना ही नहीं उनके मुख्य  विरोधी माने जाने वाले श्याम सिंह थांबेदार व रविंदर थबेदार को लेकर समाजवादी मुखिया से मुलाकात भारी पड़ सकती है। पंकज मलिक को चरथावल विधानसभा  शामली विधानसभा दोनों ही विधानसभा पर लोकदल वोटरों की संख्या बड़ी तादाद में है ऐसे में क्या पंकज मलिक को बचा पाएंगे रालोद वोटर अपने आप में बड़ा सवाल, सियासत के महारथी माने जाने वाले हरेंद्र मलिक इस बार आसान नहीं होगा अपने पुत्र को विधानसभा पहुंचाना क्योंकि चुनाव से ऐन वक्त उनके द्वारा कांग्रेस को छोड़कर साइकिल पर सवार होना वही उनकी चरथावल सीट पर मजबूती से रालोद द्वारा दावेदारी पेश करना वही उनकी पूर्व सीट शामली विधानसभा पर भी रालोद की दावेदारी उनकी चिंता बढ़ाने के लिए कम नहीं है।

आपको बता दें कि जहां 1984 में हरेंद्र मलिक ने लोक दल के टिकट पर खतौली से पहली बार विधानसभा पहुंचे थे वही उनके पुत्र 2007 में बघरा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में विजय हासिल कर लखनऊ का रास्ता किया था और इतना ही नई परिसीमन के बाद 2012 में शामली विधानसभा से चुने गए थे  विधायक तब कांग्रेस और रालोद का गठबंधन था जो कि सोचने वाली बात है पूर्व की सभी घटनाओं को 
भुलाकर रालोद प्रमुख चौधरी अजीत सिंह ने बखूबी अपने कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाकर दिलाई थी वह लेकिन इस बार की सभी परिस्थितियां अलग , उस वक्त युवा चेहरा होने के नाते युवाओं में था पंकज को लेकर बड़ा उत्साह लेकिन अब वोटरों से दूरी 5 साल से शामली विधानसभा से

दूरी उधर चरथावल से दूरी और 2017 का प्रकरण कि टिकट की हां करके रालोद का टिकट ले लेना और इतना ही नहीं यदि शामली विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं। तो निश्चित रूप से गठवाला खाप के बाबा राजेंद्र मलिक और  थांबेदार राजवीर मलिक की नाराजगी का भी सामना करना पड़ेगा क्योंकि उनका पहले से ही लगाओ बीजेपी की तरफ है ही ऊपर से उनके धुर विरोधी माने जाने वाले श्याम सिंह बाहावड़ी व रविंद्र चौधरी को साथ लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलना भारी पड़ेगा वही कांग्रेस छोड़ना भी भारी पड़ेगा क्योंकि कांग्रेस वोटर भी शहर में हार जीत की निर्णायक स्थिति में है। और यदि बात करें चरथावल की चरथावल में भी रालोद कार्यकर्ता से दिल मिला पाना इतना आसान नहीं होगा कि उसको वोट में तब्दील किया जा सके और चरथावल में सबसे बड़ा सिरदर्द साबित होने वाला है पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री मुकेश चौधरी जोकि पंकज मलिक के समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने से आशय पर चला गया है । यदि जानकार सूत्रों की माने तो वह निश्चित रूप से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ सकते चुनाव ऐसे में 2022 में पंकज मलिक के लिए लखनऊ पहुंचने की राह इतनी आसान नहीं होगी अब उनका राजनीतिक भविष्य रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के रहमों करम पर निर्भर करता है कि वे उन्हें कौन सी सीट देते हैं आप लोग यह कहेंगे कि समाजवादी में हैं और जयंत चौधरी कैसे देंगे सीट यह सच्चाई है कि पंकज मलिक समाजवादी पार्टी में लेकिन आज के समय में अखिलेश जयंत की दोस्ती या गठबंधन कहिए किसी से छिपा नहीं वही शामली चरथावल पर मजबूती से दावा पेश किया जा चुका है।

ऐसे में जयंत चौधरी पर निर्भर करेगा कि वह कौनसी सीट पंकज के लिए छोड़ते हैं केवल सीट छोड़ने से ही काम नहीं चलेगा अपने मैं अपनी पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं एवं वोटरों की दिल भी साफ करने होंगे वही इतना कुछ होने के बावजूद समाजवादी कार्यकर्ताओं नेताओं से भी तालमेल बैठाना मलिक के लिए इतना आसान नहीं होगा क्योंकि क्योंकि इतने कम समय में किसी पार्टी की कार्यकर्ताओं एवं कार्यकारिणी से तालमेल बैठाना इतना आसान नहीं होता अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या रालोद प्रमुख सभी घटनाओं को भुलाकर दिल से लगा पाएंगे पंकज को चुनाव समाजवादी कार्यकर्ता एवं नेता लगा पाएंगे उनको अपने दिल से, जो भी होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन वर्तमान में इतनी स्थिति स्पष्ट है। कि पंकज मलिक का राजनीतिक कैरियर अब केवल राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के रहमों करम पर निर्भर करता है। 

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2022 विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति को सुधारने में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है राष्ट्रीय लोक दल


यदि माहौल के अनुसार रिजल्ट देने में कामयाब रही तो तीसरे चौथे नंबर की जंग में खड़ी नजर आ सकती है राष्ट्रीय लोक दल पार्टी जबकि 2012 चुनाव में मात्र एक विधायक पर सिमट गई थी पार्टी आपको बता दें कि उलटफेर का दूसरा नाम होता है चुनाव 2017 विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद भी कांग्रेस से ज्यादा सीटें लेकर अपना दल ने 9 विधानसभा पर जीत हासिल कर सभी को चौंकाया था और प्रदेश में चौथे नंबर की पार्टी बनी थी। पांचवे पायदान पर 7 विधायक के साथ खिसक

गई थी कांग्रेस, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी 4 विधानसभा सीटें जीतकर छठे स्थान हासिल किया थाराष्ट्रीय लोकदल इस बार अगर अच्छा प्रदर्शन कर पाई तो बीजेपी समाजवादी पार्टी बसपा कॉन्ग्रेस के बाद प्रदेश की चौथे या पांचवें नंबर की बड़ी पार्टी हो सकती है। इस बार गठबंधन के साथ 36 सीटों पर चुनाव लड़ रही है राष्ट्रीय लोकदल। संभावित है कि,थाना भवन से राव अब्दुल वारिस लोकदल, चरथावल से पंकज मलिक समाजवादी पार्टी,

मीरापुर से पूर्व सांसद कादिर राणा के पुत्र शाह मोहम्मद चुनाव लड़ सकते हैं। वही शामली विधानसभा सीट से अखिल बंसल व मुजफ्फरनगर की विधानसभा सीट से योगराज सिंह पर खेल सकती है अपना दांव लेकिन बागपत में अभी नहीं खोले पार्टी ने अपने पत्ते, मुजफ्फरनगर की 6 विधानसभा सीटों में से एक समाजवादी पर हैं और पांच राष्ट्रीय लोकदल पर गई है। वही उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद दावेदारों की होने

वाली बगावत को रोकना भी होगा एक बड़ी चुनौती सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने , पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सीटें लोकदल को दी गई है। कुछ समाजवादी के कैंडिडेट आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडेंगे। अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान है कि किसान आंदोलन के शहीदों को 25 लाख देंगे, 2022 में सरकार बनी तो 'किसान शहादत सम्मान राशि' देंगे, किसानों का जीवन अनमोल होता हैl इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के पास खोने को कुछ नहीं है क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद को केवल एक ही विधानसभा सीट को भी बागपत की छपरोली पर जीत हासिल हुई थी उस पर भी उनके जीते हुए विधायक द्वारा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया गया था ऐसे में शून्य पर होने के बावजूद राष्ट्रीय

लोक दल ने इन 5 वर्षों में अपनी विपक्ष की भूमिका बखूबी निभाई और इसी का नतीजा है कि इस बार राष्ट्रीय लोक दल को कोई भी हल्के में गिरने को तैयार नहीं है जहां एक तरफ इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह की मृत्यु होने के बाद वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ सहानुभूति है वही किसान आंदोलन से पार्टी को मिली संजीवनी का सहारा भी जबरदस्त है और साथ ही साथ समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव द्वारा रालोद के साथ किया गया गठबंधन भी रालोद को ताकत प्रदान करता है आप 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद कितनी सीटें जीतने में कामयाब होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इस बार राष्ट्रीय लोकदल के पास होने को तो कुछ नहीं अरपाने को सब कुछ है या यूं कहिए कि इस बार उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल चौथे या पांचवें नंबर की पार्टी बन सकती है जिसके आसार नजर आ रहे हैं इस नंबर के लिए जंग कांग्रेसी नजर आ रही है क्योंकि यह तो स्वभाविक है कि पहले 3 पर समाजवादी भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ही रहेंगी ऊपर नीचे कोई सी भी रहे लेकिन चौथे नंबर के लिए कांग्रेश राष्ट्रीय लोक दल के साथ-साथ कांग्रेश को 2017

के विधानसभा चुनाव में पढ़ने वाली अपना दल एस भी ताल ठोक रही है। वहीं समाजवादी गठबंधन में आने को अतुल आम आदमी पार्टी भी इस बार उत्तर प्रदेश में अपना खाता खोलने को उत्सुक है। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे को जो सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बात है वही है कि बसपा कि इस बार रणनीति क्या होगी जिस तरह बसपा सुप्रीमो ने पूर्व में ही घोषित कर दिया है कि उनकी 2007 वाली रणनीति रहेगी जिसमें उन्होंने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी यदि उनकी घोषणा के अनुसार उनकी रणनीति रही तो निश्चित रूप से किसी का भी खेल बिगाड़ने में सक्षम रहेगी बहुजन समाज पार्टी लेकिन चुनावी इतना करीबी होने के आसार हैं कि कौन हारेगा कौन जीतेगा यह अभिषेक कह पाना मुश्किल होगा लेकिन इतना तय रहेगा कि जहां

उत्तर प्रदेश में सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और सपा गठबंधन से होता नजर आ रहा है वही समाजवादी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बहुजन समाज पार्टी साबित होगी क्योंकि बहुजन समाज पार्टी द्वारा टिकटों का वितरण एवं उम्मीदवारों का जातिगत समीकरण ही निर्धारित करेगा कि अगली सरकार समाजवादी गठबंधन की होगी या बीजेपी की और अंक तालिका में कौन सी पार्टी किस स्थान पर होगी यह केवल बसपा के टिकट वितरण पर निर्धारित करेगा और यह सब आने वाला समय ही बता पाएगा होगा क्या लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जहां राष्ट्रीय लोकदल के पास अच्छा प्रदर्शन कर सूची में ऊपर स्थान पाने का मौका है वही बहुजन समाज पार्टी के पास भी मौका है परदेस में कुछ बड़ा कर दिखाने का लेकिन जहां बहुजन समाज पार्टी बड़ा करने के लिए आगे बढ़ेगी तो वहीं समाजवादी गठबंधन को नुकसान होना तय है आने वाला समय ही बताएगा कि उत्तर प्रदेश में किसकी बनेगी सरकार।

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शिवकुमार सैनी को सामाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ झिंझाना अध्यक्ष नियुक्त किया गया


शामली : माननीय प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ डॉक्टर राजपाल कश्यप जी के निर्देश पर व शामली समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग जिलाध्यक्ष संजय उपाध्याय  की अनुमति से , और सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ शामली जिला उपाध्यक्ष बिजेंद्र चौहान  जी द्वारा शिवकुमार सैनी को कस्बा झिंझाना का आध्यक्ष नामित किया , आज झिंझाना निकट  अस्तपताल  रोड पर एक मीटिंग का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष बिजेंद्र चौहान व संचालन जिला सचिव सतीश चौहान गुज्जर ने किया और कहा कि शामली समाजवादी पिछड़ा वर्ग संगठन जिलाध्यक्ष संजय उपाध्याय के कुशल नेतृत्व में  आगे बढ़ रहा है और पिछड़े वर्ग के लीग बड़ी संख्या में पार्टी से जुड़ रहे है  जिला सचिव सतीश चौहान ने कहा कि शिवकुमार सैनी अध्यक्ष अपने समाज को समाजवादी पार्टी में जोड़ने का काम करेंगे और गांव गांव जाकर हम सभी सपा पिछड़ा वर्ग संगठन को मजबूत करेंगे और हर बूथ जितने का कार्य करेंगे नव नियुक्त झिंझाना अध्यक्ष  शिवकुमार सैनी ने कहा कि  जिलाध्यक्ष संजय उपाध्याय, व जिलाउपाध्यक्ष बिजेन्द्र चौहान जी द्वारा जो जिम्मेदारी मुझे दी गयी है उसे बड़ी ईमानदारी व मेहनत के साथ निभाउंगा, और जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम करूंगा इस दौरान जिला उपाध्यक्ष बिजेन्द्र चौहान, जिला सचिव सतीश चौहान गुज्जर, सोनू कश्यप, सुमित कश्यप, रमन सैनी, आशिफ आदि

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झिंझाना 22 नवंबर। भाजपा किसान मोर्चा 28 नवंबर को ट्रैक्टर मार्च निकालकर किसानों को भाजपा के विकास कार्यों की जानकारी देगा।

 


किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष सत्यपाल सिंह ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा तीनो किसान बिल वापस लिए जाने का जोरदार स्वागत किया है। एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन पर अभी भी कुछ लोगों का  डटे होना राजनीतिक षड्यंत्र है। जबकि संयुक्त किसान मोर्चा एवं चौधरी राकेश टिकैत का स्पष्ट संदेश था कि किसान बिल वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। कस्बा झिंझाना में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आगामी 28 नवंबर को होने वाली किसान ट्रैक्टर रैली पर विचार विमर्श को पहुंचे भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष सतपाल सिंह भूरा ने संवाददाता से बातचीत में यह बात कही।

इस अवसर पर किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष बंटी तोमर, राजकुमार शर्मा, चंद्रपाल सिंह चिकारा ऊन, योगेश सिंह ऊन, सुरेंद्र मुखिया ऊन, ठाकुर महक सिंह, विनोद तोमर हथछोआ,रविंद्र कश्यप मंडल अध्यक्ष झिंझाना, पूरन चंद जाटव शामली, उपस्थित रहे। किसान मोर्चा के नेताओं ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का जोरदार स्वागत करते हुए कहा की विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है। और इस फैसले का देशभर के किसानों ने जोरदार स्वागत किया है।

सिंह ने कहा कि भाजपा ने अभूतपूर्व विकास किया है। मोदी जी के नेतृत्व में देश का नाम विदेशों में भी चमका है। देशवासियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। देश के प्रधानमंत्री पर किसानों  को भरोसा है। और आंदोलन रत किसानों को भी देश के प्रधानमंत्री पर भरोसा करना चाहिए। जबकि माननीय प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कह दिया है कि आगामी सत्र में इन बिलों की वापसी संवैधानिक तौर पर हो जाएगी। परंतु विरोध की राजनीति करने के कारण संयुक्त किसान मोर्चा एवं भाकियू नेता चौधरी

राकेश टिकैत अपनी बातों पर कायम नहीं रह गए है। इसलिए वह आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। जबकि उनका कहना था कि कृषि बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, मगर आज कृषि बिल वापस हो गए हैं, लेकिन उन्होंने किसानों को भ्रमित कर अभी भी आंदोलन को बढ़ाने का मन बनाया है। वक्ताओं ने कहा कि आगामी चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित है। विपक्षी लोग बौखलाए हुए हैं। प्रेम चन्द वर्मा

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सोंमवार को कांग्रेसियों ने नगर में महंगाई के विरोध में निकाली प्रतिज्ञा पदयात्रा।


कैराना।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी आदरणीय श्रीमती प्रियंका गांधी व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जी के आह्वान पर 14 नवंबर से चल रही कांग्रेस लाओ महंगाई हटाओ प्रतिज्ञा यात्रा आज कैराना शहर में जिला अध्यक्ष दीपक सैनी कैराना नगर अध्यक्ष शमशीर खान व कैराना ब्लॉक अध्यक्ष डॉक्टर मुनव्वर पवार के नेतृत्व में भाजपा भगाओ महंगाई हटाओ कांग्रेस लाओ के नारों के साथ पदयात्रा निकाली गई शहर के घोस्सा चुंगी से शुरू होकर मेन बाजारों को होती हुई जामा मस्जिद चौक बाजार के रास्ते शामली बस स्टैंड को होती हुई आर्यपुरी पहुंची जहां एक नुक्कड़ सभा का आयोजन भी किया गया कांग्रेसियों ने जमकर जगह जगह यात्रा का फूल माला पहनाकर स्वागत किया इसके बाद मन्ना माजरा, तीतरवाड़ा , जहान पुरा , झिझाना , जमालपुर ,व कई गांवों में जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं कर यात्रा का समापन किया गया इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपक

सैनी ने कहा किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है उत्तर प्रदेश को जंगलराज बना दिया है शमशीर खान नगर अध्यक्ष ने कहा महंगाई चरम सीमा पर है आम जनमानस का जीना दुश्वार हो चुका है इस गूंगी बहरी सरकार की नींद खोलने के लिए कांग्रेस पार्टी जनता की आवाज उठाती रही है उठाती रहेगी वहीं ब्लॉक अध्यक्ष डॉक्टर मुनव्वर पवार ने कहा जिस तरीके से पिछले 1 साल से किसानों का उत्पीड़न इस सरकार में हुआ है वह इतिहास में पहली बार है यह भाजपा सरकार पहले घोषणा करती है उसके बाद उसी के नुमाइंदे उनको जुमला साबित कर देते हैं

पब्लिक को ठगने के अलावा भाजपा सरकार ने जनता को गुमराह करके सरकार बनाई है । प्रतिज्ञा यात्रा में मौजूद रहे  शमशीर खान कांग्रेस  कैराना शहर अध्यक्ष प्रमुख समाजसेवी सत्यम संयम सैनी प्रदेश कांग्रेस सचिव शामली जिला प्रभारी दीपक सैनी जिला अध्यक्ष शामली शैखरपाल प्रदेश महासचिव पिछड़ा महेन्द्र शमाॅ वरिष्ठ कांग्रेसी रियासत राणा जी पुवॅ मंत्री अब्दुल हाफिज जिला उपाध्यक्ष सीमा जाटव जिला उपाध्यक्ष राशिद चोधरी जिला महासचिव ,डाॅ मुन्हवर पवार कैराना ब्लाक अध्यक्ष अकबर अन्सारी प्रदेश सचिव अल्पसंख्यक,  धमॅबीर कश्यप जिला अध्यक्ष फिसरमैन नफीस अली जिला चेयरमैन इसराना महासचिव महिला कांग्रेस  अल्पसंख्यक , चाँद मिया नगर अध्यक्ष झिझाना देशबंधु बिदलं जिला सचिव  इन्तज़ार कैराना ब्लाक अध्यक्ष किसान , प्रम्धुण तोमर पीपीसी मैब्बर कांग्रेस  विकास शमाॅ झिझाना नोशाद अनीस अन्सारी शहीद ,जितेन्द्र कश्यप सुरेश सैनी ऊन ब्लाक अध्यक्ष आदि कांग्रेस जन शामिल हुए ।

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शामली। आज नरेंद्र मोदी सेना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामली जनपद पहुंचे जहां कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने विकास गर्ग को पगड़ी पहनाकर उनका सम्मान किया।

 


आपको बता दें नरेंद्र मोदी सेना सभा की स्थापना दिल्ली में कुछ माह पूर्व हुई थी जिसमें देश एव कई प्रदेशों से लोग शामिल हुए थे। विगत दिवस भी राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। शामली कार्यकर्ताओं को जब इस बात का पता चला कि राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग दिल्ली में है तो उन्होंने फोन कर कर एक सूक्ष्म बैठक करने का कमल बंसल ने निवेदन किया। जिसके चलते हैं विकास गर्ग शामली पहुंचे जिले में उनका भव्य स्वागत हुआ एवं एक सूक्ष्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें विकास गर्ग ने मुख्य अतिथि रुप में पहुंचे शिरकत की इस अवसर पर कार्यक्रम में बोलते हुए विकास गर्ग ने कहा कि 2022 में जनवरी में पांच राज्यों में चुनाव प्रस्तावित हैं जिसमें उत्तर प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।

उन्होंने कहा हमें उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साथ देकर बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनानी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग ने नरेंद्र मोदी सेना सभा की नीति और रीतियों के बारे में मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित किया उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सेना सभा वैसे तो गैर राजनीतिक संगठन है लेकिन इसमें सभी लोग ज्यादा कर भाजपा के जुड़े हैं इसीलिए इस संगठन का समर्थन पूरा सहयोग भारतीय जनता पार्टी को दिया जाएगा और दिया जा रहा है। इस अवसर पर दर्जनों लोगों ने नरेंद्र मोदी सेना सभा की सदस्यता ली मुख्य अतिथि के के रुप में पधारे विकास गर्ग ने सभी को पटका और फूल माला पहनाकर सदस्यता ग्रहण कराई। विकास गर्ग ने कहा हमे डर का माहौल नहीं बनाना है बल्कि लोगों के अंदर से डर निकालना है समाज में नरेंद्र मोदी सेना सभा की छवि बहुत अच्छी जानी चाहिए उन्होंने कहा शीघ्र ही पूरे राष्ट्रीय में पूरे प्रदेशों में और जिलों में कार्यकारिणी का गठन भी किया जाएगा। इस अवसर पर विकास गर्ग ने कहा

कि शीघ्र ही हरिद्वार के अंदर एक राष्ट्रीय सम्मेलन किया जाएगा इसमें तमाम प्रांतों के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकर्ता शामिल होंगे जिसमें आगे की रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी कार्यक्रम में हजारों लोग पहुंचेंगे उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को हरिद्वार आने का निमंत्रण भी दिया। कार्यक्रम का संचालन कमल बंसल ने किया एवं अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर कार्यक्रम में शामली भाजपा नेता कमल बंसल, विनोद शर्मा जललापुर, शिवम गर्ग, राजेश धीमान, महैंदर सिहं, रजत कुमार रक्षित गोयल, मनीष नामदेव, सोनू आनन्द गोयल, अलकेश उपाधय, सचिन मित्तल, सचिन गर्ग, हरीश भूषण, संजय गोयल, दर्पण संगल, डॉक्टर सोम सिंह जी मास्टर, अनिल जगपाल सिंह, जगपाल सिंह विनोद कुमार, गौतम कुमार, नितिन कुमार, मनीष मित्तल, पारस बंसल, सुधीर गोयल, देवीराम शर्मा, त्रषिपाल जी, दीपक शर्मा, मोहित कुमार आदि उपस्थित रहें। कमल बंसल, संगठन मंत्री, नरेन्द्र मोदी सेना दिल्ली।

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प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा समस्त किसान बिरादरी की जीत --- उपेंद्र चौधरी


भारतीय किसान मजदूर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कुंडू खाप उत्तर प्रदेश के चौधरी उपेंद्र चौधरी ने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापसी लिए जाने की घोषणा  समस्त किसान बिरादरी की जीत के नजर से देखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें सभी जातियों धर्मों के किसानों ने अपना पूरा 100% सहयोग देने का प्रयास किया वही अनेकों संगठन एवं सरकारों ने किसान संगठन एवं किसानों के बीच में अनेकों बार फूट डालने का प्रयास किया लेकिन किसान संगठन में किसानों की एकजुटता का नतीजा रहा कि आज देश के प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जिसके लिए यहां हम देश के प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं वही इस आंदोलन में शहीद हुए प्रत्येक किसानों के सदा ऋणी रहेंगे और साथ ही साथ हर उसे किसान योद्धा का समस्त शान बिरादरी आभारी रहेगी जिन्होंने इस आंदोलन में भाग लिया इसलिए इस लड़ाई को हार जीत के नजरिए से ना देख कर यह मानिए कि किसानों के समक्ष उत्पन्न हुई इन तीन काले कानून में से समस्या का निवारण आज देश के प्रधानमंत्री ने किया आज इस निर्णायक आंदोलन में जीत समस्त  किसान बिरादरी की हुई

कानून वापसी की घोषणा को हार जीत के नजरिए से देखना गलत  अमित बेनीवाल, बेनीवाल खाप के चौधरी अमित बेनीवाल का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी को हार जीत के नजरिए से देखना गलत होगा या यूं कहिए कि कानूनों की वापसी की घोषणा देश हित में है और जब जागे तब सवेरा वाली कहावत को मांगते हुए मैंने यह देरी से लिया गया निर्णय हो लेकिन किसान में देश में है

देश के प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय किसान ही नहीं देश हित में --धर्मेंद्र प्रधान, टिकैत ब्रिगेड प्रमुख धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया तीनों कानून वापसी का निर्णय किसान ही नहीं देश हित में है जिसको एक अच्छी पहल कहा जा सकता है कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी पहल कहा जा सकता है। यह जीत उन आलोचकों के मुंह पर तमाचा जो इस आंदोलन को किसानों का आंदोलन ना कहकर जाट बिरादरी का कहते थे आंदोलन --भले राम बेनीवाल

राष्ट्रीय जाट महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलिराम बेनीवाल जी का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कानून वापसी की घोषणा आलोचकों के मुंह पर तमाचा है जो इस आंदोलन को किसानों का आंदोलन में कह कर मात्र मुट्ठी भर जाटों का आंदोलन कह रहे थे यदि उनकी बात को सच माने तो जबकि हमने सदा कहा है कि जाट का नहीं सदा किसान बिरादरी का आंदोलन है लेकिन फिर भी यदि उन आलोचकों की आलोचना को सही माने तो आज यह कानून वापसी की घोषणा आलोचक के मुंह पर तमाचा है जो जाटों का आंदोलन कहते थे कि आज देश के प्रधानमंत्री को किसानों के ताकत के सामने झुकना पड़ा 

किसान ही नहीं प्रत्येक जन को होगा कानून वापसी का लाभ क्योंकि किसान विरोधी नहीं जनविरोधी थे कानून --अजय खाटियान भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता एवं खाटियान खाप प्रतिनिधि अजय खाटियान का कहना है कि किसान ही नहीं पर एक जन-जन को लाभ होगा तीनों किसी कानून वापसी का क्योंकि केवल किसान विरोधी नहीं जन विरोधी थे कानून

आंदोलन के दौरान अपने प्राणों का बलिदान देने वाले750 किसानों का बलिदान मिली जीत --सुभाष बालियान ,सर्व खाप मंत्री सुभाष बालियान जी का कहना है कि आंदोलन के दौरान साडे 700 किसान जो शहीद हुए हैं उनके बलिदान की देन है यह जीत आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर के ग्राम  सौरम की चौपाल से  मंत्री के आह्वान पर आयोजित पंचायत में किया आह्वान के बाद खाप चौधरियों के आंदोलन में कूदने से उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को मिली थी संजीवनी आज सर्व खाप मंत्री द्वारा किसानों की जीत का श्रेय उन बलिदानी किसानों को दिया जिन्होंने अपने प्राण निछावर कर किसान बिरादरी को आज जश्न मनाने का दिया मौका

आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमा वापसी एवं सहित किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद मिलने तक जारी रहेगा आंदोलन ,--चौधरी राजवीर सिंह मुंडेट, भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं निरवाल खाप भारत के बाबा चौधरी राजबीर सिंह मुंडेट ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कानून को वापसी लिया जाने की घोषणा किसान हित में प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया बड़ा निर्णय जिसका यूनियन स्वागत करती है साथ ही साथ केंद्र सरकार को अवगत कराना चाहती है कि आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमे एवं गिरफ्तार किए गए सभी किसानों की रिहाई तथा साथ ही साथ आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाए और जब तक यह सभी मांगे पूरी नहीं होती तब तक भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन का आंदोलन जारी रहेगा।

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केंद्र सरकार ने वापस लिए 3 नए कृषि कानून, पीएम मोदी ने किया ऐलान


मैं क्षमा चाहता हूं, अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मैं क्षमा चाहता हूं कि तीन कृषि कानून को मैं समझा नहीं सका. इसलिए केंद्र सरकार ने तीनों कानून को वापस लेने का फैसला लिया है. इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं. बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे.

पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था. इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए. अपने पांच दशक के जीवन में किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है जब देश हमें 2014 में प्रधानसेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. देश के छोटे किसानों की

चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया. सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा. किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए

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पुलिस कस्टडी में हुई अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला


अरुण वाल्मीकि के परिवार से प्रियंका गांधी ने की मुलाकात, स्वदेश न्यूज़ ने प्रमुखता से दिखाई थी खबर , खबर को संज्ञान में लेने के बाद प्रियंका गांधी ने की अरुण के परिवार से मुलाकात ,आर्थिक घोषणा को पूरा करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सौपा अरुण के परिजनों को 30 लाख रुपए का चैक अरुण वाल्मीकि को न्याय देने के लिए उप्र सरकार ने कुछ नही किया :- प्रियंका गांधी

,में न्याय की आवाज दबने नही दूंगा :-  प्रियंका गांधी ,सरकार पीड़ितों को संरक्षण देंने की बजाय उन पर ही आक्रमण करती है :- प्रियंका गांधी ,विधायक दर्पण न्यूज़ आगरा ,उत्तर प्रदेश  से पत्रकार अमीन अहमद की रिपोर्ट

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