बालाघाट - मिशन न्यू इंडिया नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यभारत जोन के प्रभारी सूरज ब्रम्हे ने जिला प्रशासन से मांग की है कि लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते से आरक्षक नत्थूलाल बंसोड़ एवं उप निरीक्षक श्रीराम आसटकर की हत्या के बारे में पूछ-ताछ की जाये। श्री ब्रम्हे ने बताया कि इन दिनों लांजी के किशोर समरिते द्वारा मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री रामकिशोर कावरे, सर्व ब्राम्हण समाज एवं नेहरू स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष राजेश पाठक, वारासिवनी के समाजसेवी संजय कछवाहा, बालाघाट जिला कलेक्टर दीपक आर्य और बालाघाट के पुलिस अधीक्षक पर लगाये गये आरोपों की चर्चायें जोरो पर है, हालांकि किशोर समरीते की फितरत को समझते हुवे जिले की जनता एवं मीडिया ने किशोर समरीते द्वारा लगाये गये आरोपों को नकार दिया है, चूंकि लगाये गये आरोपो में कोई सच्चाई ही नजर नही आती है। चूंकि किशोर समरिते द्वारा लगाये गए आरोपो में किशोर समरीते के द्वारा जिले की जनता के समक्ष कोई भी तथ्य पेश नहीं किया गया है, क्योंकि झूठे आरोप लगाकर शातीर दिमांक रखने वाला समरिते ने अखबार और राजनीतिक सुर्खियां बटोरना चाहता था। या फिर झूठा आरोप लगाकर समाज सेवियों, पूंजीपतियों तथा अधिकारियों में भय पैदा कर धन कमाना चहाता था। ऐसी चर्चायें है जिले के हर व्यक्ति के जुबान पर है। जिले की जनता, जिले के अधिकारी, जिले के समाज सेवी, जिले के जनप्रतिनिधि जानते हैं कि किशोर समरिते एक शातीर दिमांक व्यक्ति है जिस पर पूर्व से ही शासकीय कार्य में बाधा, आत्महत्या का प्रयास, शासकीय कर्मी से मारपीट, व्यापारी को जान से मारने की धमकी देने, जबरन बलात्कार, लेटर पेड का दुरूपयोग, प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम पर प्राणघातक हमला और शासकीय कार्य में बाधा पैदा करना, बाबा साहब आंबेडकर की प्रतिमा पर कंडोम की माला पहनाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज है, हालांकि इसमें कई मामले न्यायालय में विचारधीन है, इसके साथ ही इनके खिलाफ लगभग आधा दर्जन से ज्यादा प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई है, जिससे समझा जा सकता है कि किशोर समरीते किस प्रवृत्ति के व्यक्ति है।
लोगों का कहना है कि बड़े लोगों पर आरोप लगाकर बड़े अधिकारियों की शिकायत कर यह अधिनस्थ अमले में अपना भय पैदा करने की सोच वाले व्यक्ति है ताकि शिकायतों की आड़ में इनकी स्वार्थसिद्धी हो सके और इसी सोच के साथ इन्होंने सर्व ब्राम्हण समाज एवं नेहरू स्पोर्टिंग क्लब अध्यक्ष राजेश पाठक और समाजसेवी संजयसिंह कछवाहा पर आरोप लगाये, लेकिन यहां वह मात खा गये और लगभग 10 दिनों तक उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। हालांकि अब वह जमानत पर बाहर है,
लेकिन आमजनता और मीडिया में यह चर्चा है कि कथित रूप से अपने आपको कागजी कार्यवाही में मजबूत बताने वाले लांजी के किशोर समरिते, अपने आरोपो पर क्या जवाब देंगे? जवाब क्या वह मीडिया, आम जनता की अदालत या फिर न्यायालय में देंगे। किसी सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आरोप लगा देना एक साधारण बात है किन्तु उसे तथ्य सहिंत जनता के सामने लाना एक और बात है।
जहां तक मंत्री बनने के लिए विधायक रामकिशोर कावरे द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व्ही.डी. शर्मा को दिये गये करोड़ो रूपये देने के पूर्व विधायक किशोर समरिते के आरोप पर कई सवाल ऐसे है, जो किशोर समरिते पर ही खड़े होते है, जैसे की जिस तरह से वह राशि के आंकडे़ दे रहे है, उससे ऐसा लगता है कि राशि का लेनदेन उन्हीं के सामने हुआ होगा, हालांकि इसको लेकर भी समरिते कोई ठोस तथ्य अब तक पेश नहीं कर सके है।
बताया जाता है कि किशोर समरीते ने चुनाव जीतने के पूर्व किशोर समरीते ने भारतीय संविधान के रचयिता बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति में कंडुम की माला पहनाया था जिससे बुद्धिष्ट समाज के लोगों ने किशोर समरिते के विरुद्ध पुलिस थाने में रिपोर्ट में दर्ज किए थे। किशोर समरीते ने लांजी में साम्प्रदायिक दंगे भड़काकर एक पक्ष को अपने पक्ष में कर सहानुभूति वोट लेकर जेल से चुनाव जीत गये थे। चुनाव जीतने के बाद किशोर समरीते ने देवी - देवता को प्रसन्न करने बकरे की बलि भैसों की बलि देने के अलावा क्षेत्र की जनता के हित मे कुछ नही कर पाये जिससे क्षेत्र की जनता ने बाद उन्हें नकार दिया। इस बात को जिले की जनता जानती है। किशोर समरीते के द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाने पर किशोर खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 50 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें अवांछित करार क्यों दिया था? अंध विश्वास के सहारे जीने वाले किशोर समरीते चुनाव जीतने के बाद जनता का विश्वास क्यों खो बैठे ? ऐसे कई सवाल है, जिनके जवाब समरिते को दूसरो पर लगाये गये आरोपों के साथ जनता को देना चाहिये। देश, प्रदेश और जिला लगातार दो सालों से कोरोना महामारी से जूझ रहा है, इस महामारी के दौरान पीड़ित लोग और परिवार जब जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे,जिले में बहुत से लोग इस महामारी के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं तब यह किशोर समरीते नामक नेता कहां थे? बेड, इंजेक्शन, उपचार के लिए भटकती आम जिंदगियों को बचाने के लिए इन्होंने जनता के जनप्रतिनिधि एवं पूर्व विधायक होने के नाते क्या किया? यह तो कुछ ऐसे सवाल है, जिसका जवाब अब जनता भी जानना चाहती है, अन्यथा महज आरोपों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले पूर्व विधायक किशोर समरिते केवल अपनी पीठ न थपथपायें, बल्कि अपने कार्यो को भी जनता के बीच रखे। ताकि उनका तुलनात्मक अध्ययन हो सके।
जिले में अखबारो के माध्यम से आरोपो की राजनीति, राजनीतिक आरोपों से दूर अब व्यक्ति की परख हो गई है, नीति और नियत को लेकर आरोपों की जगह अब व्यक्तिगत आरोप लगने लगे है, जिसमें किशोर समरिते द्वारा राजेश पाठक पर जिले के आरक्षक नत्थुलाल बंसोड़ एवं सहायक उपनिरीक्षक श्रीराम आसटकर की हत्या, जिले में शराब एवं रेत के सभी व्यवसाय में नियंत्रण करने, मोहगांव, महु एवं लांजी क्षेत्र में 2 लाख से अधिक गायों को कटवाने, मवेशी के मालिकों को फर्जी चेक देने और गौवंश से 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार करने, नई पुलिस चौकी खाली करवाकर पुलिसवालों को भगवाने, बालाघाट में पदस्थ आईएएस, आईपीएस, एसडीओपी, थाना प्रभारियों, जिला आबकारी अधिकारियों एवं खनिज अधिकारियों को 1989 से अब तक 956 करोड़ की रिश्वत बांटने, राजेश पाठक सहित बांदा एवं बांदा कंपनी के 200 कर्मचारियों की दोहरी नागरिकता तथा कलेक्टर कार्यालय से जारी 200 अवैध हथियारों के लायसेंस जारी होने और संजयसिंह कछवाहा पर लगाये गये आरोप बालाघाट कलेक्टर की सेवा में इनोवा कार लगाकर और शराब एवं रेत में हिस्सेदार बनाकर 41 लाख की फार्चूनर कार गिफ्ट में दिये जाने को लेकर भी ऐसा ही माना जा रहा है। पूर्व विधायक किशोर समरिते द्वारा लगाये गये आरोपों की सच्चाई क्या है? बालाघाट जिले में आरक्षक और उप निरीक्षक की हत्या कब हुई ये आज तक किसी को भी पता नही था लेकिन सिर्फ किशोर समरीते को ही कैसे पता चला इसकी जांच होना चाहिए और इस विषय पर किशोर समरीते से पूछ-ताछ होना चाहिए। जिससे स्पष्ट हो जाये कि किशोर समरीते को इन पुलिस कर्मियों की हत्या की जानकारी कैसे और किसके माध्यम से मिली है। पूरा जिला जानता है कि किशोर समरीते एक शातीर दिमांक का व्यक्ति है। कोई भी घटना को अंजाम देकर किसी को भी फसाना इसके बायें हाथ का खेल है।साथ ही 2 लाख मवेशियों को कटवाने के मामले भी इस व्यक्ति से पूछ-ताछ होनी चाहिए क्योंकि देवी-देवताओं को प्रसन्न करने मूक जानवरों की बलि देने के मामले में ये जिले में चर्चित है। इस बात को जिले की जनता और मीडिया का हर व्यक्ति जानता है। कहीं इसी के माध्यम से 2 लाख गायों की कहीं बलि चढ़ा दी हो और समाज सेवी राजेश पाठक को मोहरा बना रहा हो। जिससे राजेश पाठक भय के कारण उसकी इक्षाओ की पूर्ती करते रहें। बालाघाट जिले में कोरोना महामारी के कारण जिले में चपरासी से लेकर कलेक्टर तक और संत्री से लेकर मंत्री तथा आम जन मानस तक जिले को कोरोना मुक्त करने रात और दिन मेहनत कर जिले को कोरोना से मुक्त किया है। हर समाज सेवी बढचढ कर अपनी सहभागिता देते हुवे किसी ने ऑक्सीजन मशीन की व्यवस्था की किसी ने खाने-पीने की व्यवस्था की किसी ने दवाइयों की व्यवस्था की किसी ने नगद राशी दिया। लेकिन हमारे जिले के एक-दो नेताओं ने इस समय भी रुपिया कमाने के लिए रेत घाट और शराब दुकान के चक्कर लगाते रहे। उन्हें जिले की जनता से कोई मतलब नही है। आने वाले चुनाव में जनता इन नेताओं से कोरोना काल का हिसाब मांगेगी। तब इनके पास जनता को देने के लिए कोई जवाब नही रहेगा।