1- 1977 में पहली बार कोई छात्र नेता जेल से हथकड़ी पहने नामांकन पत्र भरने आया और 3.75 लाख वोट से चुनाव जीतकर मात्र 29 वर्ष की उम्र में छपरा से सबसे युवा सांसद लोकसभा में पहुँचा।
2- 10 मार्च 1990 को पहली बार कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का शपथ राजभवन की बजाय गाँधी मैदान में आम जनता के सामने लिया।
3- 1990 में पहली बार कोई ऐसा मुख्यमंत्री हुआ जो मुख्यमंत्री आवास और सरकारी गाड़ी छोड़कर बड़े भाई के चपरासी क्वार्टर्स में रहने और साईकिल की सवारी करने का फैसला किया।
4- पहली बार मुख्यमंत्री पद संभालने के पश्चात जनता से पहली मुलाकात में कहा- “वोट का राज मतलब छोट का राज। आप लोग मालिक हो...मालिकों पर अत्याचार नहीं चलेगा।“
5- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने बेली रोड, अशोक राजपथ, बुद्ध मार्ग और कदमकुआँ रोड पर रिक्शा वालों, ठेला वालों और दैनिक मजदूरी करने वालों के लिए तीन सौ रैन-बसेरे बनवाया।
6- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि ‘सरकार पटना क्लब की 60 फीसदी जगह वंचित तबकों के लिए आरक्षित करेगी। डोम, चमार और उन जैसी जातियों के लोग पटना क्लब में शादी की पार्टियाँ आयोजित कर सकेंगे। वे गरीब हैं इसलिए महँगी शराब या मुर्गा-मटन का खर्च वहन नहीं कर सकते। इसलिए उनको क्लब में अपनी पार्टी में ताड़ी पीने और सुअर का गोश्त खाने की आजादी होगी।‘
7- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अविभाजित बिहार के छः सौ ब्लॉक में मात्र एक साल में गरीबों के लिए 60,000 आवासों का निर्माण करवाया।
8- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने पटना के राजा बाजार, शेखपुरा, लोहानीपुर, राजेन्द्र नगर और कंकड़बाग जैसे सम्पन्न इलाकों में दलितों के लिए बहुमंजिला भवन बनवाया। शहरों के बाहरी हिस्सों-झुग्गियों में रहने वाले दलित परिवारों की पहचान किया और फिर उनमें से प्रत्येक परिवार को दो कमरों का अपार्टमेंट आवंटित किया।
9- पहली बार देश में गरीबों को नकद हस्तांतरण की प्रक्रिया बिहार में शुरू की गई।
10- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने मुसहर समुदाय के बच्चों के लिए 300 विशेष विद्यालय खोलने का निर्णय लिया। साथ ही 150 ‘चरवाहा विद्यालय’ खोला गया, जहाँ मवेशी चराने वाले बच्चे अपने मवेशी साथ लेकर विद्यालय जा सकते थे, क्योंकि विद्यालय परिसर में मवेशियों को चरने की भी व्यवस्था थी। इसमें दो घंटा किताबी ज्ञान और चार घंटे कौशल ज्ञान का प्रावधान था। इन विद्यालयों में कलम, किताब और कपड़ों के साथ मिड दे मिल की भी व्यवस्था थी। दलित छात्रों को 100रु प्रतिमाह भत्ते भी तय किए गए थे। यह पूरे विश्व के लिए अनूठा विद्यालय था। अफ़सोस यह दीर्घकाल तक सफल नहीं हो सका।
11- पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने सख्ती से कहा कि- “पुलिस थाने आने वाले गरीबों को बैठने के लिए कहें। उनके साथ सम्मान के साथ पेश आएं। यदि उनकी शिकायत में दम हो तो उस पर कार्यवाई करें। यदि ऐसा न हो तो आप उचित कारण बताकर प्राथमिकी(FIR) दर्ज करने से मना कर सकते हैं। लेकिन उनके साथ दुर्व्यवहार न करें।
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