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कैराना पालिकाध्यक्ष की जातिवादी राजनीति पर सभासदों का फूटा गुस्सा!वार्ड की गली बनी गंदगी का दलदल, अध्यक्ष और सभासदों की आपसी लड़ाई में पिस रही जनता, वायरल वीडियो में खुली पोल!

कैराना। नगर पालिका परिषद कैराना में सत्ता की कुर्सी पर बैठे चेहरों ने अब विकास को नहीं, जात-पात और गुटबाज़ी को प्राथमिकता दे दी है। ताज़ा मामला वार्ड नंबर 10 की एक गली का है, जहां वर्षों से जलभराव, कीचड़ और गंदगी का ऐसा साम्राज्य कायम है कि स्थानीय लोग खुद को इंसान नहीं, बदनसीब जानवर समझने लगे हैं। लेकिन इस नारकीय स्थिति से भी ज़्यादा शर्मनाक है पालिका अध्यक्ष की सोच — जिसे लेकर खुद पालिका के निर्वाचित सभासद अब सड़कों पर उतर आए हैं।

वायरल हो चुके एक वीडियो में दो सभासदों ने जिस तरह पालिका अध्यक्ष की जातिवादी मानसिकता को उजागर किया है, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म का विषय है। वीडियो में सभासद साफ कहते सुने जा सकते हैं —
“इस गली की हालत इसलिए नहीं सुधारी गई क्योंकि यहां अध्यक्ष की बिरादरी के लोग नहीं रहते! बाकी इलाकों में इंटरलॉकिंग, नाली, लाइट सब लगीं, लेकिन यहां हम जैसे वोटर सिर्फ गिनती में हैं, अहमियत में नहीं।”

एक और सभासद तो वीडियो में साफ-साफ कहते हैं —
“मैं जनता की समस्याएं लेकर कई बार पालिका गया, लेकिन मेरी बात सुनी ही नहीं गई। अधिकारी हों या अध्यक्ष, सबका रवैया तानाशाही वाला है। लगता है अब नगर पालिका नहीं, जाति विशेष की निजी दुकान चल रही है।”


-सभासद Vs अध्यक्ष: कैराना की गली से उठी बगावत

वार्ड नंबर 10 की गली में बीते कई महीनों से गंदा पानी जमा है, न कोई जल निकासी है, न कोई सफाई। मक्खियों और मच्छरों के झुंड ऐसे मंडरा रहे हैं जैसे नगर पालिका ने उन्हें परमानेंट ठेका दे दिया हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने हर मंच पर गुहार लगाई — लेकिन अध्यक्ष महोदय को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता।

शहर में कुल 28 वार्ड हैं, जिनमें से कई सभासद अब पालिका अध्यक्ष के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर चुके हैं। आरोप है कि अध्यक्ष अपने चहेते सभासदों को फायदा पहुंचा रहे हैं, और जो लोग उनके गुट में नहीं हैं — उनके वार्ड को जानबूझकर उपेक्षित रखा जा रहा है।

 “काम कराना हो तो बिरादरी बदल लो!” – लोगों का तंज

स्थानीय नागरिकों का गुस्सा भी अब सातवें आसमान पर है। कई लोगों ने तंज कसते हुए कहा —
“अगर हमें भी पालिका अध्यक्ष की बिरादरी में शामिल होना पड़े तो बता दो! ताकि कम से कम नाली-सड़क तो बन जाए।”
वहीं एक बुजुर्ग ने कहा —
“हमने वोट देकर जनप्रतिनिधि बनाए थे, लेकिन ये तो राजा बनकर राज कर रहे हैं। ये लोकतंत्र नहीं, जातंत्र चल रहा है।”

 नगर में हाहाकार, पालिका में गंदा खेल

पालिका की इस अंदरूनी खींचतान ने अब नगर का माहौल बिगाड़ना शुरू कर दिया है। जनप्रतिनिधि एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगल रहे हैं, सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार हो रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि इस सियासी ड्रामे में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता का हो रहा है — जिसे न सड़क मिल रही, न सफाई, न सुनवाई।

 ज़िम्मेदार कौन? अधिकारी चुप, प्रशासन मूकदर्शक

सबसे शर्मनाक बात यह है कि पूरे मामले में जिला प्रशासन अब तक खामोश बैठा है। पालिका में पक्षपात, जातिवाद, गुटबाज़ी और लापरवाही के इतने खुले आरोप लगने के बावजूद कोई जांच नहीं, कोई कार्रवाई नहीं।

अब सवाल यही उठता है —

क्या जनता को इसलिए वोट देने का अधिकार मिला कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि सिर्फ अपनी जाति, बिरादरी और गुट के लिए काम करें?
क्या बाकी जनता सिर्फ टैक्स देने और बदबू में जीने के लिए है?

अगर अब भी अधिकारी और प्रशासन नहीं जागा तो आने वाले दिनों में कैराना नगर सिर्फ गंदगी का नहीं, शर्म का प्रतीक बन जाएगा।

जनता पूछ रही है – “सड़कें क्यों नहीं बनीं?”
पालिका अध्यक्ष के पास जवाब नहीं, सिर्फ बिरादरी की गिनती है? विधायक दर्पण से गुलवेज आलम 
#vidhayakdarpan 
8010884848



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