*हिन्दू मुस्लिमो में मतदाताओं को न बांटो, सपा का ये राग अब चलने वाला नहीं*
*सम्भल जाओ मुसलमानों नहीं तो नस्ले हो जाएगी तबाह*
*मुज़फ्फरनगर।* नगर निकाय चुनाव में मुस्लिमो का यूपी में रुख अलग ही दिख रहा है। सपा से है खफा, ये तो जाहिर है लेकिन सवाल यह है कि आखिर मुसलमान फिर जाएगा कहा?
"दरअसल आपको बता दे कि मुसलमान इस बार भाजपा को हराने के मूंड में कतई नहीं है।
वो न नेताओ के उस बहकावे में आने वाला कि सपा को वोट दो, नहीं तो बीजेपी आ जायेगी और न ही बीजेपी की जीत से भय में है, क्योकि उसे पता है बीजेपी मुसलमानों के लिए सिर्फ कोरोना की तरह है जो डराता ज्यादा है, लेकिन सपा कैंसर की तरह है जो पूरे शरीर मे फैल कर उसे खत्म कर देता है।
यूपी में आपको इज्जत नहीं मिलती, आपके साथ जुल्म हो तो सब चुप रहते है, आपके खिलाफ कानून बनते है तो सब चुप रहते है लेकिन आप फिर भी बीजेपी को हराने के लिए सपा जैसी पार्टी को मजबूत करने पर लगे है।
याद करिए सम्भल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने सपा की क्यो मुखालफत की,
इमरान मसूद की राजनीति को धराशाई करने की कोशिश करने वाली पार्टी कौन सी है।
क्या आपको पता है कि सपा आपकी वोट को पसंद करती है। आपके नेताओ को नही।
इमरान मसूद पश्चिम की राजनीति में एक अलग असर डालते है। खासकर सहारनपुर में सपा को कभी उभरने नहीं दिया इसलिए उनकी राजनीति को मिट्टी में मिलाने के लिए सपा जॉइन कराकर टिकट भी नही दिया। और फिर मुलायम सिंह के शागिर्द आशु मलिक को वहां भेज दिया।
इलाहाबाद में जो कुछ हुआ आप सब वाकिफ है। आज़म खान की राजनीति को मिट्टी में मिला दिया गया।
शफीकुर्रहमान बर्क सपा के सांसद होकर भी सपा के खिलाफ है, लेकिन हमारे मुज़फ्फरनगर में मुस्लिम नेताओं का ज़मीर तो देखो। अब भी उम्मीद लगाकर बैठे है। पूर्व सांसद, पूर्व विधायक सम्मानित पदों पर रहकर भी कही कोई पूछ नही लेकिन एक अल्फ़ाज़ निकालने को तैयार नहीं।
अब तो बराबरी की बात होगी, सपा नेताओं से मेरा एक सवाल मुस्लिमो का नाम लेने से क्यो डरते है।
वोट चाहिए लेकिन नाम पसंद नहीं है।
इस बार मुसलमान बिल्कुल भी भाजपा को हराने को वोट नहीं देंगा। क्योकि ये टेंडर अब खत्म हुआ, कि बीजेपी हराओ, फिर बीजेपी में तो हम जीतकर खुद शामिल हो जायेगे।
आपको बता दे कि
*नेताओ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल इनका एक पाव सपा में दूसरा भाजपा तो कभी कांग्रेस में होता है।*
जीतने के बाद कहते है कि मुसलमानों ने हमे वोट नही किया था, उन्होंने वोट सपा या कांग्रेस को किया, कुल मिलाकर उनका अहसान अखिलेश पर है। हम पर नहीं, हमे वोट करते तो निर्दलीय करके दिखाए, इसलिए भटकने से बचिए, और ऑप्शन ढूँढिये, *सिर्फ इस गुमान में मत रहिए कि सपा के अलावा ओर चारा ही क्या है, यही सोचते सोचते आप बर्बादी की कगार पर जा पहुंचे।*
सबसे ज्यादा वोट आप करते हो लेकिन आपके मुस्लिम नेताओं को चुनाव तक मे पूछना सपा गवारा नही करती। क्योकि आप बिना सोचे, बिना समझे सपा को वोट कर रहे हो, जिसकी मिसाल हाथी के दांत जैसी है, जो बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और ही होते है।
इन सेक्युलर का चौला ओढ़े प्रत्याशियों से अच्छा है कि आप सीधे भाजपा को ही वोट कर दे, ताकि बाद में पछताना न पड़े।
आपकी लड़ाई में राकेश शर्मा कहा दिखे, आपके घर तोड़े गए, आप दुख दर्द में कहा खड़े दिखे, आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी है, इन नेताओं से उम्मीद रखना बंद करो।
ये आपको अपने बराबर में बैठाना भी पसंद नहीं करते है, हा चापलूसी आप उनकी करो तो बहुत पसंद करते है। आपको नेता बनाना पसंद नहीं करते है, हा रिमोट कंट्रोल अपने हाथ मे रखकर आपको मोहरा बनाना जरूर पसंद करते है, क्या भूल गए सहारनपुर में इमरान मसूद की राजनीति खत्म करने का प्रयास करने वाली पार्टी कौन सी है।
मुज़फ्फरनगर से मुस्लिम लीडरशिप खत्म करने वाली पार्टी कौन सी है?
क्या भूल गए मुस्लिम दाढ़ी टोपी वाले को मंच से धक्का देकर उतारने वाली पार्टी कौन सी है।
क्या भूल गए भाजपा के दुश्मन मुसलमान कौन सी पार्टी की वजह से है।
आपको प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री नही बनना, सरकार नहीं बनानी, यहां तक कि अब तो विधायक सांसद भी नही बनने की कगार पर हो,
फिर क्यो भाजपा को हराने के चक्कर मे खुद को मिटाने पर तुले हो, भाजपा को हराने का टेंडर छोड़ दो, यह खुद अपनी वोटो से क्यो नही हराते,
आपको पता होना चाहिए ये जो सेक्युलरिज्म का चौला ओढ़े हुए नेता आपसे वोट मांगते है, इन्हें मौका मिले तो यह भाजपा में जाने से नहीं कतराएंगे, लेकिन वहां सब लोग एडजस्ट नहीं हो सकते इसलिए सेक्युलरिज्म का चौला ओढ़कर इन पार्टी में नेतागिरी कर रहे है। ये सेक्युलरिज्म का चौला ओढ़े नेता आपके कांधे पर हाथ रख दे तो आप ऐसे खुश हो जाते है जैसे ज़िंदगी मे सब कुछ पा लिया हो, ये मत भूलो ये सिर्फ आपको भीड़ बनाने को आपके सर पर हाथ रखते है, लेकिन आपको नेता बिल्कुल भी बनाना नहीं चाहते, हा जो रात दिन इनके लिए नतमस्तक हो तो उसे नेता भी बना देते है लेकिन उसका कंट्रोल अपने हाथ मे रखते है ताकि वो आपकी आवाज न उठा सके। फरमान अब्बासी लेखक✍🏻
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