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मेरी किसी अपराधी के साथ कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन जो मैं आंकड़े तथा तथ्य बता रहा उन पर अमल जरूर करें।

योगी आदित्यनाथ तब संसद में रो रहे थे। कह रहे थे क्या मैं संसद का सदस्य हूँ, मैं लाखों वोटों से जीतकर आया हूँ। उन्हें आशंका थी कि उनका एनकाउंटर भी हो सकता है। अध्यक्ष की कुर्सी पर सोमनाथ चटर्जी बैठे थे। आश्वस्त किया कि आप हमारे सम्मानित सदस्य है, सरकार आपकी बात सुनेगी और आपकी रक्षा करेगी। लगभग दर्जनों मामले थे उनपर और कुछ तो बेहद संगीन धाराओं में थे। फिर भी चलते रहे। 

अतीक अहमद तीन बार का निर्दलीय विधायक, चौथी बार समाजवादी पार्टी ने विधायक बनाया और पांचवी बार अपना दल ने। फिर समाजवादी पार्टी ने लोकसभा में पहुंचा दिया। 2023 में उस भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय अतीक अहमद को मार गिराया उधर समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से नवाजा जिसने अतीक अहमद को लोकसभा में पहुंचाया था। 

मेरी किसी अपराधी के साथ कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन जो मैं आंकड़े तथा तथ्य बता रहा उनपर अमल जरूर करें। अतीक अहमद भी योगीजी की तरह ही यकीनन लाखों वोटों से ही जीतकर आया था। लाखों वोटों से जीतकर आने वाला व्यक्ति जरूरी नहीं ईमानदार, सभ्य और शिक्षित ही हो लेकिन बात यह कि एक ही समय में अतीक को संसद पहुंचाने वाले मुलायम सिंह जी को पद्म पुरुस्कार और अतीक का हत्या अथवा एनकाउंटर? 

जो भी हो पर हत्या के वक्त अतीक और उसके भाई को एक ही हथकड़ी से बांधा था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस से एक गोली नहीं चली और अपराधी पत्रकार बनकर आये थे। इस लाइव एनकाउंटर में सवाल न तो अतीक पर बाक़ी है, न सरकार पर। सवाल सीधा इस बात का है कि जैसे के साथ तैसा हुआ तो जैसा असल में था कैसा? उस जैसे से जनता वाकिफ़ थी या जनता से मीडिया तक का जश्न केवल किसी पहचान के आधार से है? यदि ऐसा है तो क्या न्याय मिल गया? यदि हां तो आपको कुछ अन्य आंकड़े और देखने होंगे। 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(ADR) ने योगी आदित्यनाथ की पूरी मंत्रिपरिषद को स्कैन किया है। एडीआर रिपोर्ट की मानें तो योगी आदित्यनाथ के 52 में 22 मंत्रियों का आपराधिक रिकॉर्ड है। प्रतिशत में बात करें तो 49% मंत्री दागी है, इन मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमे हैं। मौजूदा योगी सरकार में 20 मंत्री ऐसे हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं। ADR ने गंभीर अपराध उसे माना है, जिन धाराओं में 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हो. इस प्रकार योगी सरकार में 44% मंत्री ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे है।

योगी आदित्यनाथ जी के ऊपर से सारे मुकदमे उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री बनते ही वापस ले लिए लेकिन इन बाक़ी का क्या करेंगे? कर भी कैसे पाएंगे जब वे भी आज अतीक अहमद की भांति सत्ता के भागीदार हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से दर्जनों पर संगीन मामले जैसे दंगा, हत्या, अपहरण, बलात्कार, फिरौती जैसे मामले दर्ज हैं। आप सभी के लिए एक मानक चाहते हैं या फिर पहचान देखकर न्याय? विचार कीजिए क्योंकि मैँ जानता हूँ अतीक अहमद कोई दूध का धुला नहीं था लेकिन मंत्रिमंडल में बैठे लोग भी सब पाक साफ नहीं हो सकते। इसके अतिरिक्त भाजपा के इन नेताओं को भी देखें,

कुलदीप सिंह सेंगर 28 मुकदमे उन्नाव, बृजेश सिंह 106 मुकदमे वाराणसी, धनंजय सिंह 46 मुकदमे जौनपुर, राजा भैया 31 मुकदमे प्रतापगढ़, डॉ उदय भान सिंह, 83 मुकदमे भदोही, अशोक चंदेल 37 मुकदमे हमीरपुर, विनीत सिंह, 34 मुकदमे चंदौसी, बृजभृपण सिंह 84 मुकदमे गोंडा, चुलबुल सिंह 53 मुकदमे बनारस, सोनू सिंह, 57 मुकदमे सुल्तानपुर, मोनू सिंह 48 मुकदमे सुल्तानपुर, अजय सिंह सिपाही 81 मुकदमे मिर्जापुर, पिंदू सिंह 23 मुकदमे  बस्ती, हनी सिंह 48 मुकदमे देवरिया, संग्राम सिंह 58 मुकदमे बिजनौर, चुन्नू सिंह 42 मुकदमे महोबा, बादशाह सिंह 88 मुकदमे महोबा।

इतना ही नहीं स्वयं योगी आदित्यनाथ का विवादों से गहरा नाता रहा है। जिसके कारण इनके ऊपर केस भी दर्ज किए गए। राजनेता होने के साथ साथ इनके ऊपर कई केस भी दर्ज है। जिनकी जानकारी उन्होंने 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के हलफनामें में दी थी। 1999 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगीआदित्य नाथ पर महाराजगंज जिले में IPC की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 295 (किसी समुदाय के पूजा स्थल का अपमान करना), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के मामले दर्ज किए गए थे।

इसी साल महाराजगंज में ही इनपर धारा 302 (मौत की सजा) , 307 (हत्या का प्रयास) 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत भी मामले दर्ज किए गए थे। साल 2006 की बात करें, तो इस साल भी योगी आदित्यनाथ पर गोरखपुर में IPC की धारा 147, 148, 133A (उपद्रव को हटाने के लिए सशर्त आदेश), 285 (आग या दहनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण) के मामले दर्ज किए गए थे. 2007 में भी गोरखपुर के मामले में धारा 147, 133A, 295, 297, 435 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोरखपुर दंगों के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। दंगों के दौरान एक युवक के मारे जाने के बाद बिना प्रशासन की अनुमति के योगी ने शहर के मध्य श्रद्धान्जली सभा आयोजित की थी और कानून का उल्लंघन किया था। बहरहाल आप लोगों को टेंशन नहीं लेना है। अतीक अहमद , मुख़्तार अंसारी, आजम खान इत्यादि के सामने 106 मुकदमों वाला बृजेश सिंह है तो विजय मिश्र के सामने 83 मुकदमों वाला उदयभान सिंह इसके अलावा रघुराज प्रताप सिंह पर 31, कुलदीप सिंह सेंगर पर 28, बृजभूषण सिंह पर 84 मुकदमें हैं। 

समय पर भरोसा रखिए। जिस समाज में अपराधियों को आइकॉन बना दिया जाता है, या सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता है वह तात्कालिक लाभ भले ही पा जाए, सत्ता में उसका कभी भी दीर्घकालिक वर्चस्व नहीं हो पाता। यह आपके वैचारिक मतभेद की वजह से कोई अल्पकालिक खुशी जरूर हो सकती है लेकिन क्या आपको यकीन है कि ऐसे न्यायिक प्रक्रिया से आपको या आपके लोगों को कभी नहीं गुजरना पड़ेगा? न्याय नहीं मिलता है क्योंकि हमेशा सत्ता अपराधियों के संरक्षण में रही बस चेहरे और मोहरे बदलते रहे। अब आप एकाध के खात्मे पर जश्न मनाइये या दुःखी होइए लेकिन व्यवस्था अभी भी अस्वस्थ तथा दोषपूर्ण है। 

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