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गांवों की आवाज़: सात गांवों को शामली विकास खंड में शामिल कराने की माँग फिर हुई मुखर

शामली, उत्तर प्रदेश | 24 जून 2025

शामली जनपद में एक बार फिर सात गांवों के भविष्य को लेकर राजनीतिक गर्माहट तेज़ हो गई है। मंगलवार को समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी हामिद हुसैन को सौंपा, जिसमें गांव मालैण्डी, बधेव, कन्नूखेडा, मुंडेट कलां, कसेरवा कलां, कसेरवा खुर्द, और टिटौली को कैराना से हटाकर विकास खंड शामली में शामिल किए जाने की मांग की गई।

इस मांग के पीछे केवल राजनीतिक इच्छा नहीं, बल्कि भौगोलिक निकटता, प्रशासनिक सुगमता और ग्रामीणों की लंबे समय से चली आ रही अपेक्षाएं जुड़ी हैं।
जिलाध्यक्ष अशोक चौधरी ने जानकारी दी कि वर्ष 2016 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने शासन को इस विषय में पत्र लिखा था, जिसके आधार पर 29 दिसंबर 2016 को प्रमुख सचिव ग्राम विकास ने अधिसूचना भी जारी की थी। लेकिन आज 8 वर्षों के बाद भी उस अधिसूचना को अमल में नहीं लाया गया, जिससे ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

प्रोफेसर सुधीर पंवार ने इस देरी का ठीकरा भाजपा के एक वरिष्ठ नेता पर फोड़ा। उनका दावा है कि इस निर्णय को लागू करने से रोकने में उक्त नेता की अहम भूमिका है। सुधीर पंवार ने चेतावनी दी कि यदि इस बार भी राजनैतिक दबाव में गांवों को विकास खंड शामली में सम्मिलित नहीं किया गया, तो समाजवादी पार्टी

आंदोलन छेड़ेगी और संबंधित नेता का नाम सार्वजनिक किया जाएगा

ज्ञापन सौंपते समय भूपेंद्र सैनी, सलेक प्रधान, विपुल गोयल, अमरदीप पंवार, मकसूद राणा, शांतनु ठाकुर जैसे स्थानीय नेताओं की भी उपस्थिति रही, जिससे इस मुद्दे की गंभीरता और व्यापकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।


ग्रामीणों की प्रतीक्षा कब होगी समाप्त?
एक ओर सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर अधिसूचना जारी होने के 8 वर्ष बाद भी ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन न होना, प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक हस्तक्षेप की ओर इशारा करता है। इन सात गांवों के लोगों को अब भी उम्मीद है कि उनकी आवाज़ सुनी जाएगी, और वे उस विकास खंड का हिस्सा बन सकेंगे जिसके वे भौगोलिक व व्यवहारिक रूप से नजदीक हैं।

अब देखना यह होगा कि प्रशासनिक अमला इस बार ग्रामीणों की आवाज़ पर ध्यान देता है या फिर यह मामला एक बार फिर फाइलों की धूल में खो जाएगा।


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लेखक:
शौकीन सिद्दीकी, जिला ब्यूरो-चीफ – "विधायक दर्पण"
कैमरामैन – रामकुमार चौहान
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