क्या है मामला?
सभासदों के अनुसार, एक विवादित वीडियो को लेकर बीते कुछ समय से प्रकरण चल रहा है, जिसमें नगरपालिका चेयरमैन द्वारा यह दावा किया गया कि उक्त वीडियो में सभासदों की भूमिका संदिग्ध है। जबकि सभासदों ने स्पष्ट किया है कि उनका इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने पहले भी 4 मई 2025 और 9 मई 2025 को पुलिस अधीक्षक शामली को लिखित रूप में अपना पक्ष रखकर स्पष्ट किया था कि यह वीडियो उनके संज्ञान में नहीं है और न ही उनका उससे कोई संबंध है। इस संदर्भ में उनके गोपनीय बयान भी पुलिस द्वारा दर्ज किए जा चुके हैं।
साजिश और खतरे की आशंका:
सभासदों का आरोप है कि अब चेयरमैन द्वारा एक बार फिर पुराने मामले को आधार बनाकर उन्हें बदनाम करने तथा कानूनी शिकंजे में फंसाने की कोशिश की जा रही है। कुछ सभासदों ने यहां तक आशंका जताई है कि उन्हें जान से मारने तक की साजिश हो सकती है।
इसलिए उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को लिखित प्रार्थना पत्र देकर मामले की गंभीरता से जांच कराने और उन्हें इस राजनीतिक प्रतिशोध से बचाने की मांग की है।
सभासदों की मांग:
मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए
पुराने आरोपों की फिर से पुनरावृत्ति न हो
जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
अगर कोई साजिश रची जा रही है तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए
प्रशासन की भूमिका पर सवाल:
इस पूरे घटनाक्रम ने नगरपालिका प्रशासन की कार्यशैली और आंतरिक माहौल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनप्रतिनिधियों के बीच का यह टकराव अब पुलिस और प्रशासन की निगरानी में आ गया है, और अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह विवाद और अधिक गहराता जा सकता है।
निष्कर्ष:
लोकतांत्रिक प्रणाली में चुने हुए जनप्रतिनिधियों का एक-दूसरे पर इस प्रकार के गंभीर आरोप लगाना न केवल चिंताजनक है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले में निष्पक्षता के साथ क्या रुख अपनाता है और क्या सभासदों को न्याय एवं सुरक्षा मिल पाती है।
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📌 विधायक दर्पण— जन सरोकार से जुड़ी निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता
📸 कैमरामैन: रामकुमार चौहान
🖋️ लेखक: शौकीन सिद्दीकी
📍स्थान: शामली, उत्तर प्रदेश
📅 तारीख: 25 जून 2025
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