वही पुत्र अखिल बंसल हे शामली विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार,यदि समय रहते छोड़ दिया होता रालोद को तो तरह-तरह की जांच एवं परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता चेयरमैन को अब सत्तारूढ़ पार्टी ने रालोद में होने के कारण जो जख्म दिए क्या पुत्र को टिकट देकर उन जख्मों पर मलहम का काम करेगा रालोद यदि समय रहते सत्तारूढ़ पार्टी जॉइन कर ली होती तो 5 वर्ष काटते खूब चांदी और शामली का भी जमकर होता विकास विकास में रोड़ा बनी रही सत्तारूढ़ पार्टी शामली के विकास में जो आई कमी क्या चेयरमैन पुत्र को विधायक बनाकर उस कमी को पूरा करना चाहेगी रालोद , स्वामी नगर पालिका चेयरमैन अंजना बंसल इस बार अपने कार्यकाल में अनेकों बार भारी परेशानी एवं जांच से गुजरना पड़ा है इस सब का कोई और कारण नहीं सबसे बड़ा प्रमुख कारण उनका रालोद में होना माना जा रहा है
क्योंकि उनके पति पूर्व चेयरमैन व पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल राष्ट्रीय लोक दल के एक बड़े कद्दावर नेता है इतना ही नहीं अपने पूर्व कार्यकाल में शामली नगर पालिका व विधानसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र में काफी विकास के लिए चर्चित रहे हैं लेकिन ऐसा इस बार क्या हुआ शामली के विकास में जो उन्हें कार्य करने से उनको नहीं कर पा रहे इस सब का वजह है सत्तारूढ़ पार्टी सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा उनको कार्य नहीं करने दिया गया और समय-समय पर अनेकों शिकायत जांच टीमें गठित करा कर परेशान किया गया । जिसका चेयरमैन में चेयरमैन परिवार में डटकर सामना किया और विपक्ष द्वारा या यूं कहिए कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उत्पन्न की गई सभी बाधाओं को समय-समय पर डटकर मुकाबला करते हुए पार किया लेकिन यदि चेयरमैन परिवार में रालोद को छोड़कर थाम लिया होता सत्तारूढ़ पार्टी का दामन तो ना कोई परेशानी होती ना होती कोई जांच शामली का खूब होता विकास और जमकर काटते चांदी लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया रालोद के वफादार सिपाही बनकर किया गया कार्य अब देखना यह होगा कि उनके द्वारा सत्तारूढ़ पार्टी के ठुकराए के सभी प्रलोभन एवं शामली के विकास की योजनाओं
के बाद भी दबाव में ना आने के बाद रालोद में बने रहने का रालोद क्या देती है नाम क्योंकि पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल के पुत्र अखिल बंसल शामली विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट के है दावेदार अब क्या रालोद 5 साल में उनके परिवार वह माता द्वारा उठाई गई परेशानी एवं तरह-तरह की गई जांच के बावजूद में रालोद का दामन ना छोड़ने और मिले सत्तारूढ़ पार्टी से जख्मों पर उनके पुत्र को टिकट देकर मरहम लगाने का काम करेंगी और शामली में एक बार फिर उनको जो विकास में आई है कमी उस विकास को पूरा करने का मौका देगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा , लेकिन इतना तय है कि यदि इतना सब कुछ सहने के बावजूद भी उनको शामली विधानसभा की सेवा करने का मौका नहीं मिलता तो कहीं ना कहीं उनके साथ नाइंसाफी होगी यदि शामली विधानसभा के समीकरण की बात करें तो समीकरण भी सबसे ज्यादा मजबूत और सटीक बंसल परिवार के पुत्र अखिल बंसल के परिवार में ही बैठता है क्योंकि शामली नगर पालिका परिषद क्षेत्र की वोट व ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय लोकदल की पकड़ किसी से छिपी नहीं है ऐसे में यानी दोनों का संयम बैठता है तो या यूं कहिए कि अखिल बंसल का टिकट होते ही लगभग शामली में रालोद की जिसको सुनिश्चित कहना भी कोई गलत नहीं होगा लेकिन अब टिकट होगा किसको यह तो रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी ही जाने लेकिन इतना तय है कि इतना खुश रहने वाले परिवार को और शामली के विकास में हुई सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के चलते कमी को दूर करने का मौका निश्चित जयंत चौधरी के पास है जयंत चौधरी के पास है इस परिवार को मिले हुए 5 वर्षों में जख्मों पर मरहम लगाने का अब वे मरहम लगाते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि शामली विधानसभा सीट पर रालोद प्रमुख को बहुत सोच समझकर टिकट पर अपना निर्णय लेना होगा क्योंकि इस परिवार ने इन 5 वर्षों में रालोद में रहने की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है इसकी मौत को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
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