क्या लोकसभा चुनाव की वह घटना चौधरी अजीत सिंह की वह हार और उस हार में प्रसन्न चौधरी के रोल को भुला पाना आसान होगा कल तक जिस पार्टी के मुखिया को हराने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे थे आज उनकी मृत्यु के बाद उन्हीं के पुत्र के द्वार टिकट के लिए लगा रहे हैं चक्कर वाह री राजनीति जिसको कल हराने के लिए जिस पार्टी का वजूद मिटाने के लिए कर रहे थे भरपूर प्रयास आज उसी का कर रहे हैं
गुणगान जिन 3 काले कृषि कानूनों का कल तक करते थे समर्थन आज एक टिकट के लिए उन्हीं का करते हैं विरोध वाह री राजनीति तेरे भी कितने रंग यदि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी मिलता है प्रसन्न चौधरी को शामली विधानसभा से राष्ट्रीय लोक दल का टिकट तो क्षेत्र में क्या जायगा संदेश जानकार सूत्रों की सच माने तो रालोद के बड़े नेता का कहना है कि प्रसन्न चौधरी द्वारा लोकसभा चुनाव में चौधरी साहब के
विरुद्ध किए गए चुनाव प्रचार को पार्टी प्रमुख भूल सकते हैं किसानों के विरुद्ध किए गए प्रचार को किसान भूल सकते हैं लेकिन यदि फिर भी प्रसन्न चौधरी को टिकट मिलता है तो अपनी व्यक्तिगत राय पेश करूं तो इनके द्वारा किए गए कार्य भूला पाना मुश्किल क़ई जाट नेता इनको हराने के लिये ही प्रसन्न के विरुद्ध सामने ही लड़ेंगे चुनाव सभी रालोद के नेता कार्यकर्ता एवं किसानों की निगाह अब टिकी रालोद प्रमुख पर क्या इतना विरोध वाले और चौधरी साहब के विरुद्ध प्रचार करने वाले
प्रसन्न चौधरी को मिलेगा शामली विधानसभा सीट से टिकट यूं तो आपने अनेकों बार राजनीति में लोगों को पार्टी बदलते हुए देखा होगा लेकिन इस बार कुछ अलग ही नजारे देखने को मिल रहे हैं ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है शामली विधानसभा सीट पर रालोद के टिकट के दावेदार और पूर्व बीजेपी नेता जो जिला पंचायत अध्यक्ष शामली के पति प्रसन्न चौधरी हैं उनके द्वारा लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह जो कि मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ रहे थे उनके सामने
चुनाव लड़ रहे बीजेपी के पूर्व मंत्री संजीव बालियान के समर्थन में वोट ही नहीं मांग रहे थे उनको आर्थिक मदद तक कर रहे थे और उनकी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे चर्चा तो यहां तक भी है कि उनकी जीत के बाद नृत्य करने और मिठाई बांटने से भी पीछे नहीं हटे थे और इतना ही नहीं तीन कृषि कानूनों पर भी किसानों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि यह अच्छे कृषि कानून हैं लेकिन जैसे ही उम्मीद पर पानी फिरता दिखा कि शामली से बीजेपी से टिकट नहीं होगा वैसे ही रालोद का दामन थामते ही चौधरी अजीत सिंह उनकी लाइफ़ प्रेरणा और महान हो
गए और तीन कृषि कानून काले हो गए और जिस नेता की हार पर कल तक खुशी मना रहे थे आज भी उनके नेता हो गए और आज उनके पुत्र वर्तमान राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत उनके नेता हो गए लेकिन जयंत चौधरी के सामने सबसे बड़ी समस्या आज उत्पन्न हो गई है कि यदि वे ऐसे कैंडिडेट को टिकट देते हैं तो उनके कार्यकर्ता जो लोकसभा चुनाव में प्रसन्न चौधरी के कार्यप्रणाली के चलते नाराज थे और कृषि कानूनों के चलते किसान नाराज थे उनको मनाना होगा इतना ही नहीं पूर्व विधानसभा चुनाव में रालोद के कैंडिडेट रहे और शामली
विधानसभा पर जाट वोटरों की संख्या में सबसे बड़े गोत्र के कैंडिडेट बिजेंदर मलिक को साधना भी इतना आसान नहीं होगा कि वह इनका समर्थन कर सके क्योंकि गठवाला खाप के चौधरी का भाजपा में हो किसी से छिपा नहीं है और ऐसे में यदि विजेंद्र मलिक का टिकट कटता है तो निश्चित रूप से रालोद को एक बड़ा नुकसान झेलना होगा और इतना ही नहीं चर्चा तो यह भी है कि रालोद का एक बड़ा नेता का दावा है कि यदि इस तरह के नेता को टिकट दिया गया जो कल तक हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष की हार पर खुशी मनाते थे हार में एक अहम भूमिका निभाने का प्रयास करते थे उनकी हार में आर्थिक मदद तक करने का काम किया हो और किसान आंदोलन को भी शुरुआती दौर में कमजोर करने का काम किया हो यदि हमारी पार्टी द्वारा ऐसे नेता को टिकट दिया जाता है तो हमने दे दिया चुनाव लड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे हम भूल जाएंगे कि
हमारी पार्टी की एक सीट कम होगी लेकिन मायने यह नहीं रखता कि 1 सीट कम होगी मायने यह रखता है कि इस तरह के लोगों की राजनीति खत्म होगी कि कल तक कहीं आज कहीं और जाट समाज व किसानों के बड़ा नेता रहे चौधरी अजीत सिंह जी को हराने में भूमिका निभाने वालों की अकल ठिकाने लगाकर ही सही मायने में चौधरी अजीत सिंह जी को श्रद्धांजलि दी जा सकती है। और यह श्रद्धांजलि देने से हम किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे केवल पैसे के बल पर ही राजनीति नहीं की जा सकती सिद्धांत और आदर्श एवं जमीनी कार्यकर्ता के रूप में ही की जा सकती है राजनीति यह भी साबित करने में हम कामयाब होंगे और यह साबित करने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे यदि इस तरह का दावा सच साबित होता है तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी के सामने आज विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है शामली विधानसभा से किसको दिया जाए टिकट उनके लिए एक चिंता का सबब बन गया है
समय में क्या छुपा है किसको मिलेगा टिकट यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि भाजपा छोड़कर रालोद का दामन थामने वाले टिकट पाकर शामली विधानसभा सीट से लखनऊ पहुंचने का सपना देखने वाले प्रसन्न चौधरी के सामने राह आसान नहीं होगी रहा हाल तो हम और आप केवल इंतजार कर सकते हैं कि होगा क्या लेकिन जो भी कुछ होगा इस बार कुछ नया ही होगा शामली विधानसभा सीट पर इसीलिए तो चर्चा का विषय में शामिल विधानसभा सीट केवल चर्चा ही नहीं केंद्रीय नेतृत्व के सामने सिरदर्द साबित हो रही है शामली विधानसभा सीट देखना यह होगा कि सर दर्द को कैसे कम कर पाते हैं जयंत चौधरी और किस तरीके से मनमुटाव दूर करेंगे किसान और रालोद कार्यकर्ताओं का किसको मिलेगा शामली विधानसभा का टिकट यह सब अब निर्भर करेगा जयंत चौधरी की नीति सोच और दूरदृष्टि पर।
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