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स्वामी रामेश्वरानंद जी: एक अनोखे सांसद की कहानी

स्वामी रामेश्वरानंद जी एक ऐसे सांसद थे जिन्होंने अपने जीवन को देश सेवा और साधु जीवन के लिए समर्पित कर दिया था। वह हरियाणा के करनाल से सांसद थे और जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीते थे। लेकिन उनकी सादगी और निष्ठा ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। *पांच सितारा होटल में बाजरे की रोटी* एक बार इंदिरा गांधी ने उन्हें पांच सितारा होटल में बुलाया था। जब लंच का समय आया, तो सभी लोग बुफे काउंटर की ओर चल दिए। लेकिन स्वामी जी ने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और बुफे काउंटर से दूर जमीन पर बैठकर खाने लगे। इंदिरा जी ने उनसे कहा कि "आप क्या करते हैं? क्या यहां खाना नहीं है?" स्वामी जी ने जवाब दिया, "मैं संन्यासी हूं, सुबह भिक्षा में किसी ने यही रोटियां दी थी इसलिए साथ ले आया। मैं सरकारी धन से रोटी भला कैसे खा सकता हूं?" *सरकारी सुविधाओं का नहीं लिया लाभ* स्वामी रामेश्वरानंद जी ने कभी सरकारी आवास नहीं लिया और न ही उन्होंने अपना वेतन लिया। वह दिल्ली के बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर में रहते थे और संसद भवन तक पैदल जाया करते थे। वह संसद में हर सवाल पूछने से पहले एक वेद मंत्र बोला करते थे, जो संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में देखे जा सकते हैं। *देशभक्ति और साधु जीवन* स्वामी रामेश्वरानंद जी एक सच्चे देशभक्त और साधु थे। उन्होंने अपने जीवन को देश सेवा और साधु जीवन के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी कहानी हमें सादगी, निष्ठा और देशभक्ति के महत्व को समझाती है।

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