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उपराष्ट्रपति पद के लिए एक नया अध्याय?
भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रखर चिन्तक, बहुभाषाविद और विदेश नीति के गहन जानकार श्री शेषाद्री चारी देश के अगले उपराष्ट्रपति बनने जा रहे हैं?
इस संभावित नाम ने राजनीतिक पटल पर एक नई ऊर्जा और दिशा की ओर संकेत किया है।
🧠 कौन हैं श्री शेषाद्री चारी?
श्री शेषाद्री चारी एक बहुआयामी व्यक्तित्व हैं। वे एक साथ विद्वान चिंतक, लेखक, रणनीतिक विश्लेषक, भाषाविद, राजनीतिक टिप्पणीकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के प्रचारक के रूप में स्थापित हैं।
उनकी प्रमुख विशेषताएँ:
- 🇮🇳 राष्ट्रवादी विचारधारा के सशक्त वक्ता
- 🌍 विदेश नीति, भू-राजनीति और सांस्कृतिक मामलों के जानकार
- 🗣️ कई भारतीय व विदेशी भाषाओं के विद्वान (बहुभाषाविद)
- 📰 देश-विदेश के मंचों पर भारत की आवाज़ रखने वाले गंभीर एवं संतुलित विचारक
- 📚 अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में लेखन और व्याख्यानों के लिए चर्चित
🏛️ उपराष्ट्रपति पद की गरिमा और श्री चारी की उपयुक्तता
भारत के उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, बल्कि एक ऐसे संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं जो लोकतंत्र की मर्यादा और संवैधानिक संतुलन का प्रतीक है।
श्री शेषाद्री चारी का यह पदभार ग्रहण करना इसलिए भी समीचीन माना जा रहा है, क्योंकि:
- वे राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर वैचारिक विमर्श को सम्मान देते हैं
- संसद के संचालन में आवश्यक गंभीरता, संयम और बौद्धिक परिपक्वता का वहन कर सकते हैं
- भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करने में सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से योगदान देने की क्षमता रखते हैं
- उनकी पहचान टकराव नहीं, संवाद की संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाले नेता के रूप में है
🔍 क्या यह केवल अटकल है या संकेत?
सूत्रों के अनुसार, श्री चारी का नाम राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर गंभीर विचार-विमर्श में है।
उनकी वैचारिक स्पष्टता और अनुभव उन्हें इस पद के लिए एक स्वाभाविक पसंद बनाते हैं।
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि आने वाले दिनों में यदि श्री शेषाद्री चारी उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेते हैं तो भारत को मिलेगा:
"एक चिंतनशील नेतृत्व, एक संतुलित मार्गदर्शक और एक विचारशील संविधानप्रेमी व्यक्तित्व।"
🗣️ समापन विचार: भारत को चाहिए बौद्धिक नेतृत्व
21वीं सदी के भारत को केवल राजनीतिक नेतृत्व ही नहीं, बल्कि वैचारिक गहराई, अंतरराष्ट्रीय समझ और संवैधानिक गरिमा के प्रतीक व्यक्तित्वों की आवश्यकता है।
श्री शेषाद्री चारी उन कुछ गिने-चुने नामों में हैं जो संसद को गरिमा, गंभीरता और दिशा देने में समर्थ हैं। यदि वे भारत के अगले उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो यह भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता और दूरदृष्टि का प्रतीक होगा।
✍ ज़मीर आलम
प्रधान संपादक, विधायक दर्पण संपूर्ण राजनैतिक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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