🕊️ विधायक दर्पण विशेष रिपोर्ट 🕊️
✍🏻 प्रधान संपादक: ज़मीर आलम
ब्रेकिंग न्यूज़ | दिनांक: 05 अगस्त 2025
भारत की राजनीति के एक प्रमुख और विवादों से घिरे लेकिन बेबाक स्वभाव वाले राजनेता श्री सत्यपाल मलिक का आज 05 अगस्त 2025 को दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और आज उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक युग का अंत हो गया।
🕯️ एक लंबा राजनीतिक सफर – गाँव से राजभवन तक
सत्यपाल मलिक, मूलतः उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद से ताल्लुक रखते थे। एक किसान परिवार से निकलकर उन्होंने भारतीय राजनीति में कई अहम पदों पर कार्य किया। उनका राजनीतिक जीवन बहुआयामी रहा, जिसमें उन्होंने कई पार्टियों का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन जनहित और राष्ट्रहित हमेशा उनके केंद्र में रहा।
🔹 सांसद, केंद्रीय मंत्री,
🔹 कई राज्यों के राज्यपाल (बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, मेघालय),
🔹 और धारा 370 हटाने के ऐतिहासिक निर्णय के समय वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे।
🏛️ धारा 370 के हटाने के गवाह रहे राज्यपाल
5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया, उस वक्त सत्यपाल मलिक ही प्रदेश के राज्यपाल थे। उन्होंने उस दौर में न केवल संवैधानिक प्रक्रियाओं की निगरानी की, बल्कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण रूप से भारत में एकीकृत करने की प्रक्रिया में अपनी भूमिका को निर्णायक माना।
💬 बेबाक बयानों के लिए जाने गए
सत्यपाल मलिक को हमेशा उनके स्पष्ट वक्तव्यों और निडर बयानों के लिए जाना गया। उन्होंने कई बार केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए, खासकर किसान आंदोलन और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर। उन्होंने सत्ता में रहते हुए भी सिस्टम की खामियों पर खुलकर बात की, जो उन्हें राजनीतिक गलियारों में अलग पहचान दिलाती रही।🤝 जनता और किसानों से गहरा जुड़ाव
उनका झुकाव हमेशा किसानों और ग्रामीण समाज की ओर रहा। वे खुद को एक "किसान का बेटा" बताते थे और देश में किसान आंदोलनों के समर्थन में उनकी बातों ने उन्हें ग्रामीण भारत में लोकप्रिय बना दिया था।
🏥 RML अस्पताल में निधन – शोक की लहर
आज सुबह दिल्ली के RML अस्पताल से यह दुखद समाचार सामने आया कि सत्यपाल मलिक का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ा और तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका। उनके निधन से न केवल राजनीतिक गलियारे में, बल्कि आम जनमानस में भी शोक की लहर है।
🕯️ श्रद्धांजलि संदेश
देश के विभिन्न हिस्सों से नेता, बुद्धिजीवी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर किसान संगठनों तक ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की है।
"सत्यपाल मलिक सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे – जो सत्ता में रहकर भी जनहित के लिए बोलना नहीं भूले।"
— ज़मीर आलम, प्रधान संपादक, विधायक दर्पण
📰 विधायक दर्पण की ओर से श्रद्धांजलि
"एक जननेता, एक निर्भीक राज्यपाल, और एक सच्चे किसानहितैषी नेता को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।"
विधायक दर्पण संपूर्ण राजनैतिक समाचार पत्रिका उनकी सेवा, विचार और योगदान को सदा स्मरण करती रहेगी।
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"सत्ता से ऊपर था जिनका साहस, सत्यपाल मलिक को नमन।"
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