प्रदेश में निकाय चुनाव तिथि नजदीक आते ही पालिकाध्यक्ष प्रत्याशी व पालिका सभासद प्रत्याशी नगर का भ्रमण कर वोटरों को लुभाने में लग गए थे। प्रत्याशियों द्वारा नालियां, सड़क निर्माण, पानी की व्यवस्था करने लगे थे। प्रत्याशी द्वारा अपना चुनावी प्रचार प्रसार कर लाखों रुपय बर्बाद किया गया। लेकिन, आरक्षण को लेकर आपत्ती दाखिल होने पर चुनाव की तिथि आगे बढ़ते हीं सभी प्रत्याशीयों के चेहरे उदास हो गए और जनता का साथ निभाने का वादा करने वाले प्रत्याशी दुम दबाकर अपने बिलों में दुबक ने लगे। कैराना नगर वासियों के हमदर्द बनकर साथ निभाने का वादा करने वाले प्रत्याशी अब जनता से मिलना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। जो प्रत्याशी चुनावी कार्यालय खोल कर समर्थकों का जमावड़ा जुटाने के लिए चाय नाश्ता करा रहे थे। चुनाव की तिथि आगे बढ़ने से दावेदार जनता से मुंह छुपाने लगे। कस्बे में चर्चा का यह विषय बना हुआ है कि क्या जो चुनावी मैदान में दावेदार बनकर वोटरों को लुभाने में लगे हुए थे लेकिन चुनावी तिथि आगे बढ़ने से वे अपने बिलों में छुपते नजर आ रहे हैं। अब यह सवाल बनता है कि क्या जीतने के बाद दिखाई देंगे? कुछ चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी की ताल ठोकने वाले प्रत्याशियों के कार्यालय पर ताले लटके हुए हैं जो यह एक चर्चा का विषय कस्बे में बना हुआ है।
कब्रिस्तान की मिट्टी व चिता की राख तक रह गई दावेदारों की राजनीति
कस्बे में अब चर्चा हो रही है कि चुनाव की तिथि आगे बढ़ते ही चुनाव के मैदान में अपनी दावेदारी की ताल ठोकने वाले कुछ प्रत्याशी अपने कार्यालय बंद कर अपने बिलों में दुबक गए हैं। वही चर्चा यह भी है कि कुछ प्रत्याशी सिर्फ मृत्यु की सूचना मिलते ही जनता के बीच में उनके हमदर्द बनकर सामने आ जाते हैं। अगर मुस्लिम धर्म में किसी की मृत्यु हो जाती है तो व कुछ प्रत्याशी कब्रिस्तान में पहुंचकर जनाजे की मिट्टी देते हैं। अगर हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु हो जाती है तो अंतिम संस्कार के समय शमशान घाट पर पहुंचकर 2 मिनट का मौन कर वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं। इस समय कैराना की आवाम को सोच समझकर अपने प्रत्याशी के सर ताज बांधना चाहिए। जो प्रत्याशी साथ निभाने का वादा करते थे लेकिन आज वे जनता के बीच से ऐसे भागते नजर आ रहे हैं जैसे कोई कुंभ के मेले में गुम हो गया हो। हमें अपना प्रत्याशी ऐसा चुनना चाहिए जो हमारे युवा पीढ़ी के भविष्य को सुधारने के लिए हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे। गुलवेज़ आलम कैराना ✍🏻
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