झिंझाना/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की विमुक्त और घुमंतू जनजातियों के कल्याण के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राजधानी लखनऊ के भागीदारी भवन में आयोजित 'विमुक्त जाति दिवस' समारोह के दौरान उन्होंने इन समुदायों के लिए विशेष बोर्ड के गठन की घोषणा की।
इस अवसर पर झिंझाना क्षेत्र के अहमदगढ़ निवासी दीपक वढेरा ने घुमंतू समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी समस्याओं और अपेक्षाओं को सरकार के समक्ष रखा। दीपक वढेरा की इस पहल के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को बोर्ड गठन के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इन समुदायों को भूमि पट्टे और मतदान का अधिकार भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार पहले ही वनटांगिया समुदाय को राजस्व गांव का दर्जा, मताधिकार और आवास, स्कूल व अस्पताल जैसी सुविधाएं प्रदान कर चुकी है। इसी तरह मुसहर, कोल, थारू, गौड़, चेरो, सहरिया, कुम्हार, निषाद और राजभर समाज को भी राज्य की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल चुका है।
योगी आदित्यनाथ ने भरोसा दिलाया कि झिंझाना और अन्य क्षेत्रों की घुमंतू जातियों के लिए भी इसी तरह की योजनाएं लागू की जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में प्रदेश की पुलिस भर्तियों में इन समुदायों के कई युवक-युवतियों का चयन हुआ है, जो सरकार की समावेशी नीतियों को दर्शाता है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने इन समुदायों के वीरगाथापूर्ण इतिहास को याद किया। उन्होंने कहा कि नट, बंजारा, बावरिया, सासी, कंजड़, कालबेलिया, सपेरा और जोगी जैसी जातियों ने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ अदम्य साहस दिखाया। अंग्रेजों ने 1871 में इनके पराक्रम से भयभीत होकर इन्हें जन्मजात अपराधी घोषित कर 'क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट' लागू किया। लेकिन डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रयासों से 31 अगस्त, 1952 को यह कलंक समाप्त हुआ।
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