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उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 : सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत, विपक्ष में खलबली और क्रॉस वोटिंग का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली।

भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बड़ी जीत हासिल की। उन्हें 452 वोट मिले जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को सिर्फ 300 वोट ही मिले। कुल 752 वोट पड़े, जिनमें से 15 अमान्य रहे।

यह नतीजा विपक्षी एकजुटता की पोल खोलता है और एनडीए की बढ़ती पकड़ को रेखांकित करता है।


वोटिंग का गणित

  • कुल सदस्य: 752
  • मतदान करने वाले: 746
  • अमान्य वोट: 15
  • सीपी राधाकृष्णन (एनडीए): 452 वोट
  • बी. सुदर्शन रेड्डी (INDIA ब्लॉक): 300 वोट

विश्लेषण: विपक्ष के पास कुल 315 वोट होने चाहिए थे, लेकिन उसे केवल 300 मिले। 15 वोट अमान्य हो गए और लगभग 25 वोट विपक्ष से टूटकर एनडीए के पक्ष में चले गए।


क्रॉस वोटिंग कहाँ हुई?

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक क्रॉस वोटिंग मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से हुई।

  • उत्तर प्रदेश: सपा और कांग्रेस के बीच मतभेद का असर दिखा।
  • बिहार: राजद-जदयू गठबंधन में खींचतान ने असर डाला।
  • पश्चिम बंगाल: टीएमसी के भीतर असंतोष का फायदा एनडीए को मिला।
  • ओडिशा व आंध्र प्रदेश: क्षेत्रीय दलों के कुछ सांसद एनडीए खेमे में चले गए।
  • दिल्ली व पंजाब: आप (AAP) के कुछ वोट अमान्य पाए गए।

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

  • कांग्रेस: “यह हार विपक्षी अनुशासनहीनता की देन है। हम आत्ममंथन करेंगे।”
  • समाजवादी पार्टी: “25 वोट टूटना गंभीर चिंता है। समीक्षा होगी।”
  • टीएमसी: “यह विपक्ष की नहीं, बल्कि नेतृत्व की कमजोरी है।”
  • आप: “अमान्य और क्रॉस वोटिंग विपक्ष की कमजोरी उजागर करती है, इसे सुधारना होगा।”

एनडीए नेताओं के बधाई संदेश

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “सीपी राधाकृष्णन जी को उपराष्ट्रपति चुने जाने पर हार्दिक बधाई। उनका अनुभव और नेतृत्व हमारे लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।”
  • गृह मंत्री अमित शाह: “यह जीत जनता और जनप्रतिनिधियों का विश्वास दर्शाती है। उपराष्ट्रपति पद पर राधाकृष्णन जी का कार्यकाल ऐतिहासिक होगा।”
  • भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा: “एनडीए की यह जीत एकजुटता और संगठन की ताकत का परिणाम है।”

सीपी राधाकृष्णन : राजनीतिक सफर और अब तक की यात्रा

  • सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
  • वे लंबे समय तक भाजपा तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे।
  • राधाकृष्णन दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए।
  • संसद में उनके बेबाक विचार और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में पहचान दिलाई।
  • उन्होंने कई संसदीय समितियों में सक्रिय भूमिका निभाई और गरीबों, किसानों व शिक्षा सुधारों पर काम किया।
  • राधाकृष्णन को हमेशा साफ-सुथरी छवि, सरल व्यक्तित्व और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
  • उपराष्ट्रपति पद पर चुने जाने से पहले वे भाजपा की नीतियों को दक्षिण भारत में मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे थे।

उनकी इस पृष्ठभूमि ने ही उन्हें एनडीए का सर्वमान्य उम्मीदवार बनाया और आज वे देश के 14वें उपराष्ट्रपति बनकर लोकतांत्रिक इतिहास में अपनी पहचान दर्ज करा चुके हैं।


भविष्य की राजनीति पर असर

  1. राज्यसभा में एनडीए की पकड़ मजबूत होगी।
  2. विपक्ष को अनुशासन और रणनीति सुधारनी होगी।
  3. 2026 विधानसभा और 2029 लोकसभा चुनावों में एनडीए को बढ़त मिल सकती है।
  4. क्षेत्रीय दलों की भूमिका और अधिक निर्णायक हो जाएगी।

निष्कर्ष

सीपी राधाकृष्णन की जीत केवल एक संवैधानिक पद की जीत नहीं है, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के मौजूदा समीकरणों का आईना भी है। उनकी सरल छवि और संगठनात्मक अनुभव से एनडीए को मजबूती मिलेगी, वहीं विपक्ष को यह सीखने का मौका है कि बिना अनुशासन और एकजुटता के बड़ी लड़ाई जीतना असंभव है।


🖊️ विशेष राजनीतिक विश्लेषण “विधायक दर्पण” के लिए
✍️ पत्रकार – ज़मीर आलम

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