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इकरा हसन का आरोप– लोकतंत्र पर संकट, संसद का सत्र हंगामे में गँवाया

नई दिल्ली/कैराना । संसद का मॉनसून सत्र अव्यवस्था और हंगामे की भेंट चढ़ गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार, नारेबाज़ी तथा शोरगुल ने कार्यवाही को बार-बार बाधित किया। परिणामस्वरूप, पूरे सत्र में लोकसभा की उत्पादकता मात्र 30.83 प्रतिशत और राज्यसभा की 38.88 प्रतिशत रही। लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 15 विधेयक तो पारित किए, किंतु गंभीर विषयों पर चर्चा का अवसर खो गया।

समाजवादी पार्टी की कैराना  सांसद इकरा हसन ने कहा कि इस गतिरोध की जड़ सिर  मुद्दा रहा। “संसद जनता की आवाज़ उठाने का सबसे बड़ा मंच है, किंतु बिहार में 65 लाख मतदाता सूची से हटाए जाने और पहचान पत्रों पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर जो प्रश्न खड़े हुए, वह अत्यंत गंभीर हैं। यदि इस पर चर्चा नहीं होगी तो लोकतंत्र ही खतरे में पड़ जाएगा। इसी कारण हमें शेष मुद्दों को पीछे रखना पड़ा।”

इकरा हसन ने आरोप लगाया कि विपक्ष की बार-बार की मांग के बावजूद सत्ता पक्ष ने चर्चा से परहेज़ किया और केवल अपने विधेयक पारित कराने पर ध्यान केंद्रित रखा। “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की सर्वोच्च पंचायत में इतना बड़ा प्रश्न उठा और उस पर विमर्श तक नहीं हुआ। स्वस्थ्य बहस लोकतंत्र की आत्मा है, किंतु सरकार विपक्ष की चिंता सुनने को तैयार नहीं।”

सपा सांसद इकरा हसन ने सरकार के नए विधेयक पर भी कड़ी आपत्ति व्यक्त की। इस विधेयक के अनुसार यदि कोई मुख्यमंत्री 30 दिन तक जेल में रहता है तो उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा। इकरा हसन ने कहा– “यह तो लोकतंत्र की हत्या है। आजकल झूठे आरोपों में नेताओं को जेल भेजा जाता है। मेरे अपने भाई 11 महीने तक जेल में रहे। यदि केवल एक महीने की जेल पर किसी मुख्यमंत्री को पद से हटा दिया जाएगा तो यह जनता के अधिकारों का सीधा हनन होगा। हम इसका घोर विरोध करेंगे।”

विपक्ष की रणनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अब यह संघर्ष संसद से निकलकर सड़क तक पहुँचेगा। “जनता को बताया जाएगा कि किस प्रकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाकर लोकतंत्र की नींव हिलाई जा रही है। संसद में हमारी आवाज़ दबाई गई, परंतु गांव-गांव, गली-गली हम यह बात पहुँचाएँगे।”

अंत में इकरा हसन ने जनता को आश्वस्त किया– “मैं कैराना की बेटी हूँ और अपनी जनता की आवाज़ बनकर दिल्ली तक पहुँची हूँ। आपके मत और आपके अधिकार पर आंच नहीं आने दूँगी। लोकतंत्र की रक्षा के लिए मैं सदैव संघर्षरत रहूँगी। ”विधायक दर्पण" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए पत्रकार गुलवेज़ आलम की खास रिपोर्ट 
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स्वतंत्र पत्रकार, कैराना

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