उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्ष, जनसेवा और साफ़ छवि की मिसाल रही।
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारों की पहल की। उनका मानना था कि झारखंड की तरक्की तभी संभव है जब यहाँ की नई पीढ़ी शिक्षित और आत्मनिर्भर बने। सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने से लेकर युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा देने तक, उन्होंने लगातार योजनाएँ बनाई और उन पर अमल भी किया।
निधन से उपजा शून्य
शिक्षा मंत्री के निधन से झारखंड की राजनीति और शिक्षा क्षेत्र दोनों में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है।
उनकी नेतृत्व क्षमता और जुझारूपन से राज्य को काफी उम्मीदें थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रामदास सोरेन का जाना झारखंड मुक्ति मोर्चा और हेमंत सोरेन सरकार दोनों के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
श्रद्धांजलि का दौर
राज्यभर में श्रद्धांजलि का माहौल है। सभी दलों के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि “रामदास सोरेन न सिर्फ़ एक सक्षम मंत्री थे बल्कि आदिवासी समाज और शिक्षा सुधार के लिए समर्पित योद्धा भी थे। उनका जाना व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए अपूरणीय क्षति है।”
आज उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा जहाँ अंतिम दर्शन के लिए आमजन और नेताओं की भीड़ उमड़ेगी। राज्य सरकार ने पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी की है।
समाज में गहरी पैठ
रामदास सोरेन साधारण परिवार से निकलकर राजनीति की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। यही वजह है कि वे सिर्फ़ एक राजनेता नहीं बल्कि जनता के सच्चे सेवक के रूप में जाने जाते रहे। उनकी सहजता और सरल स्वभाव ने उन्हें आम जनता से जोड़ रखा था।
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🙏 झारखंड की धरती ने आज अपना एक कर्मठ सपूत खो दिया। विधायक दर्पण परिवार एवं संपूर्ण राष्ट्रीय राजनीतिक समाचार पत्रिका दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है। ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
✍️ रिपोर्ट : ज़मीर आलम, झारखंड डेस्क
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