शामली। मालेगांव ब्लास्ट केस को लेकर अदालत द्वारा दिया गया फैसला न सिर्फ न्यायप्रिय है, बल्कि वर्षों से हिंदू समाज पर लांछन लगाने वाली कथित ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को भी सिरे से नकारता है। इस फैसले की सराहना करते हुए सामाजिक चिंतक विवेक प्रेमी ने कहा कि यह निर्णय केवल निर्दोष हिंदुओं को दोषमुक्त कर उन्हें न्याय नहीं देता, बल्कि उस गहरे षड्यंत्र का भी पर्दाफाश करता है जिसमें एक धर्म विशेष को संतुष्ट करने के लिए देश की सनातन संस्कृति को आतंकवाद से जोड़ा गया।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार और महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने राजनीतिक लाभ के लिए इस मामले का ग़लत उपयोग किया। उन्होंने असल गुनहगारों को पकड़ने की बजाय हिन्दू संगठनों से जुड़े निर्दोष लोगों को निशाना बनाकर यह दिखाने की कोशिश की कि देश में ‘भगवा आतंकवाद’ भी मौजूद है। इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम तुष्टिकरण की उसी पुरानी नीति को आगे बढ़ाना था, जिसे कांग्रेस वर्षों से अपनाती आ रही है।
विवेक प्रेमी ने आगे कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित समेत कई राष्ट्रवादी हिन्दू कार्यकर्ताओं को न सिर्फ झूठे आरोपों में फंसाया गया, बल्कि उन पर गुनाह कबूल करवाने के लिए मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना भी दी गई। यह सब इस्लामिक वोट बैंक को खुश करने की साजिश का हिस्सा था।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े अन्य हिन्दू संगठनों को हमेशा कांग्रेस ने अपना वैचारिक दुश्मन समझा है। गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने जिस प्रकार से सनातन संस्कृति को कलंकित करने का कार्य किया, वह देश का हिंदू समाज कभी भूल नहीं सकता।
विवेक प्रेमी ने न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए इसे "सनातन की विजय" करार दिया और कहा कि इससे न केवल निर्दोषों को न्याय मिला है, बल्कि एक खतरनाक राजनीतिक प्रोपेगंडा भी हमेशा के लिए बेनकाब हो गया है।
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