सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश):
राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से चर्चित 25 वर्ष पुराने वन विभाग के मुकदमे में आखिरकार इसौली से सपा विधायक और पूर्व सांसद ताहिर खान को न्याय मिला। एमपी/एमएलए कोर्ट की विशेष अदालत ने उन्हें साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त घोषित कर दिया।
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद जहां विधायक समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं यह मामला एक मिसाल बन गया है कि कानून की गति धीमी हो सकती है, पर अंधी नहीं।
🔍 मामला क्या था?
करीब 25 वर्ष पूर्व, वन विभाग ने तत्कालीन सांसद ताहिर खान पर वन अधिनियम उल्लंघन से जुड़ा एक मामला दर्ज किया था। मामले में आरोप था कि उन्होंने वन विभाग की अनुमति के बिना कुछ गतिविधियां संचालित की थीं, जो उस समय के नियमों के अंतर्गत प्रतिबंधित थीं।
मामला लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया में रहा, जिसकी सुनवाई एमपी-एमएलए विशेष अदालत, सुल्तानपुर में की जा रही थी।
⚖️ क्या कहा अदालत ने?
अदालत में जब दोनों पक्षों की दलीलें पेश की गईं, तो यह पाया गया कि:
- न अभियोजन पक्ष के पास ठोस दस्तावेजी साक्ष्य थे।
- न ही प्रत्यक्षदर्शी गवाह ऐसे थे जो घटना की पुष्टि कर सकें।
- तमाम जांचों और प्रस्तुत दस्तावेजों में विधायक के विरुद्ध कोई ठोस आधार नहीं पाया गया।
इन्हीं बिंदुओं के आधार पर विशेष न्यायाधीश ने विधायक ताहिर खान को दोषमुक्त करार देते हुए मामले को समाप्त कर दिया।
📢 क्या बोले विधायक?
निर्णय के बाद मीडिया से बातचीत में विधायक ताहिर खान ने कहा:
"सत्य की हमेशा जीत होती है। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था, और आज का फैसला उसी विश्वास की जीत है। राजनीतिक द्वेष में फंसाने की कोशिशें बहुत हुईं, लेकिन सच हमेशा सामने आता है।"
📌 राजनीतिक हलचल
यह फैसला आगामी चुनावी समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। ताहिर खान को इस फैसले से न केवल कानूनी राहत मिली है, बल्कि राजनीतिक छवि को भी मजबूती मिली है, जो कि उनके विरोधियों के लिए झटका साबित हो सकता है।
📰 रिपोर्टर: ज़मीर आलम
🗞️ प्रकाशन: विधायक दर्पण – संपूर्ण राजनैतिक समाचार पत्रिका
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