📍स्थान: बिड़ौली, कैराना विधानसभा क्षेत्र, जनपद शामली
🗓️ दिनांक: गुरुवार, 17 जुलाई 2025
“छह हजार में क्या होगा गुज़ारा, अब तो बढ़ाओ हमारा सहारा” — कुछ इसी भावनात्मक अपील के साथ ऊन विकास खंड के दर्जनों पंचायत सहायकों ने एकजुट होकर अपने हक़ और भविष्य की आवाज़ को बुलंद किया।
गुरुवार देर शाम कैराना क्षेत्र की सांसद इकरा हसन के फार्म हाउस पर पंचायत सहायकों का एक प्रतिनिधि मंडल पहुंचा, जहां उन्होंने सांसद को एक गंभीर और विस्तारपूर्ण ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पंचायत सहायकों ने मानदेय वृद्धि, तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता तथा संविदा से स्थायीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए।
🧾 पंचायत सहायकों की प्रमुख मांगें:
- वर्तमान मानदेय 6,000 रुपये में जीवन-यापन अत्यंत कठिन है — इसे बढ़ाकर 26,910 रुपये प्रति माह किया जाए।
- संविदा प्रणाली समाप्त की जाए, तथा पंचायत सहायकों को नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
- कार्यों की प्रकृति अत्यधिक तकनीकी होती जा रही है — अतः टैबलेट व अन्य डिजिटल उपकरणों की सुविधा प्रदान की जाए।
- डिजिटल पोर्टलों, ऑनलाइन कार्यों और पंचायतों के दस्तावेज़ीकरण में आ रही तकनीकी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रशिक्षण और समर्थन दिया जाए।
📣 क्या बोले पंचायत सहायक?
संलमान, कमल, प्रदीप ,आसिया समेत अन्य पंचायत सहायकों ने बताया कि केवल 6,000 रुपये प्रतिमाह में न तो घर चल सकता है और न ही वे अपने कार्यों को सही तरीके से अंजाम दे सकते हैं।
उन्होंने बताया कि उन्हें अनेक जटिल पोर्टलों, रिपोर्टिंग टूल्स, पंचायत लेखा प्रणाली इत्यादि पर काम करना पड़ता है, परंतु उन्हें न तो तकनीकी प्रशिक्षण मिला है और न ही आवश्यक संसाधन।
🗨️ सांसद इकरा हसन का प्रतिक्रिया:
सभी पंचायत सहायकों की बातें गंभीरतापूर्वक सुनने के बाद सांसद इकरा हसन ने भरोसा दिलाया:
"आप सभी की समस्याएं वाजिब और वास्तविक हैं। मैं आपके मुद्दों को संसद में जरूर उठाऊंगी और केंद्र व राज्य सरकार से मांग करूंगी कि पंचायत सहायकों को समुचित वेतन, संसाधन और सम्मान प्रदान किया जाए।"
सांसद ने यह भी कहा कि ग्राम विकास की रीढ़ पंचायत सहायक होते हैं, और उनकी उपेक्षा न केवल प्रशासनिक दृष्टि से गलत है, बल्कि यह ग्राम स्तर पर सुशासन में भी बाधा उत्पन्न करता है।
👥 प्रतिनिधिमंडल में उपस्थित पंचायत सहायक:
आसिया, शोएब, गणेश, अनीश, मनोज कुमार, कपिल कुमार, सुनीता, सोनिका, सद्दाम, सोराज, शगुन, शिवम, स्वीटी, शोभा, सोनी आदि पंचायत सहायकों ने एक स्वर में कहा कि यदि शीघ्र मानदेय नहीं बढ़ाया गया और सेवाओं को स्थायी नहीं किया गया, तो वे बड़े आंदोलन की राह पर जा सकते हैं।
📝 निष्कर्ष:
पंचायत सहायक वह कड़ी हैं जो सरकार की योजनाओं और आम जनता के बीच सेतु का काम करते हैं। इनका कार्य केवल कागज़ भरना नहीं, बल्कि ग्राम पंचायतों के डिजिटल भविष्य को आकार देना है।
ऐसे में इनका वाजिब सम्मान, स्थायित्व और संसाधनों से युक्त होना अत्यंत आवश्यक है।
📌 यदि शासन-प्रशासन इस ओर शीघ्र ध्यान दे, तो यह वर्ग न केवल बेहतर सेवा दे सकेगा, बल्कि “सशक्त पंचायत - सशक्त भारत” के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।
📍रिपोर्टर: शाकिर अली
📌 स्थान: कैराना, शामली, उत्तर प्रदेश
📰 “विधायक दर्पण” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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