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📍 घटना का संक्षिप्त सारांश:
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 1 जुलाई 2025 को घटित एक निंदनीय घटना ने शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच गरिमा की लक्ष्मण रेखा को धूमिल कर दिया है। कैराना लोकसभा क्षेत्र की सांसद इकरा हसन के साथ ADM संतोष बहादुर सिंह द्वारा किए गए दुर्व्यवहार ने पूरे राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।🧾 क्या हुआ था 1 जुलाई को?
सांसद इकरा हसन छुटमलपुर नगर पंचायत की चेयरपर्सन शमा परवीन के साथ क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) से मिलने सहारनपुर पहुंचीं।दोपहर 1 बजे ADM कार्यालय से बताया गया कि अधिकारी लंच पर हैं और समस्याएं पत्र के माध्यम से दें।
लेकिन सांसद ने सीधे संवाद को प्राथमिकता देते हुए दोपहर 3 बजे ADM कार्यालय में उपस्थित होकर मुलाकात की।
और यहीं से शुरू होती है लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुँचाने वाली कहानी।
🗣️ सांसद का आरोप – ‘ADM ने कहा, गेट आउट!’
सांसद इकरा हसन ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा:"हम समस्या लेकर पहुंचे थे, लेकिन ADM ने न सिर्फ चेयरपर्सन को फटकारा, बल्कि मुझसे कहा — ‘गेट आउट।’"
सांसद का कहना है कि एडीएम ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें दफ्तर से बाहर निकालने की कोशिश की और जब विरोध हुआ तो इसे “टंग ऑफ स्लिप” कहकर टालने लगे।
इकरा हसन के अनुसार,
"ADM ने कहा, इस दफ्तर का मालिक मैं हूं, मैं जो चाहूं, करूंगा!"
क्या यह भाषा और रवैया एक चुनी हुई महिला सांसद के प्रति स्वीकार्य है?
⚖️ ADM की सफाई – "मैं फील्ड में था"
ADM संतोष बहादुर सिंह ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि वे फील्ड में थे।जब उन्हें जानकारी मिली कि सांसद ऑफिस पहुंची हैं, तो वह लौटे। सांसद के आने से पहले वे कार्यालय पहुंच चुके थे और खुद सांसद को फोन भी किया।
उन्होंने कहा कि कोई अपमानजनक शब्द नहीं कहे गए और यह सब “गलतफहमी” पर आधारित है।
🧑⚖️ प्रशासन का रुख – मंडलायुक्त ने दिए जांच के आदेश
मामला तूल पकड़ता देख मंडलायुक्त अटल कुमार राय ने तत्काल जांच के निर्देश DM मनीष बंसल को दिए हैं।
DM का बयान भी काबिलेगौर है:
"जनप्रतिनिधियों के साथ अशिष्ट व्यवहार किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
🗳️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं – गरमाया सियासी पारा
- सपा ने इस प्रकरण को लोकतंत्र का अपमान बताया है और प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग की है।
- वहीं भाजपा ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दोनों पक्षों की बातों को सुने जाने पर ज़ोर दिया है।
❓ जनता का सवाल – अगर सांसद से ऐसा हुआ, तो आम आदमी के साथ क्या होगा?
इस घटना ने आमजन के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं:
- जब एक सांसद, जिसे लोकतंत्र की आत्मा – जनता चुनती है, उसके साथ यह व्यवहार हो सकता है,
- तो क्या आम नागरिक की बात कोई सुनता है?
यह केवल एक प्रोटोकॉल का मुद्दा नहीं, बल्कि सत्ता और सेवा की सीमाओं को समझने का मामला है।
🧵 निष्कर्ष: लोकतंत्र का अपमान नहीं सहेंगे
सांसद इकरा हसन के साथ जो कुछ भी हुआ, वह महज़ एक महिला जनप्रतिनिधि के साथ किया गया दुर्व्यवहार नहीं,बल्कि यह घटना प्रशासनिक अहंकार, लोकतांत्रिक गरिमा और संवैधानिक मर्यादा के बीच की दीवार को हिलाने वाली है।
इस मामले की गंभीरता से जांच, दोषी की पहचान, और सार्वजनिक रूप से माफी या दंड — तीनों आवश्यक हैं,
📌 रिपोर्ट: ज़मीर आलम | प्रधान-संपादक
विधायक दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, सहारनपुर ब्यूरो
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"लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, जनप्रतिनिधि उसका स्वर है — उस स्वर का अपमान, स्वयं लोकतंत्र का अपमान है!" 🧿
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