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निजीकरण के खिलाफ उठी आवाज़, विद्युत कर्मचारियों ने सांसद को ज्ञापन सौंपा

कैराना । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज को मजबूती से उठाते हुए सपा सांसद इकरा हसन को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के तहत 42 जनपदों में बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।

गुरुवार को, विद्युत विभाग के उपखंड अधिकारी अमित कुमार गुप्ता के नेतृत्व में समिति के सदस्यों ने सांसद इकरा हसन से मुलाकात की। ज्ञापन में समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि राज्य सरकार ने निजीकरण पर जोर दिया, तो इसका सीधा और नकारात्मक प्रभाव आम उपभोक्ताओं, विशेष रूप से किसानों, गरीबों और पिछड़े वर्गों पर पड़ेगा।

समिति ने चेतावनी दी है कि बिजली के निजीकरण से बिजली की दरें बेतहाशा बढ़ जाएंगी, जिससे आमद आय कम करने वाले परिवारों को भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ सकता है। विशेषकर, किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाली मुफ्त बिजली सेवा का भी अंत हो सकता है, जो कि उनके कृषि कार्य को प्रभावित करेगा।

इस निजीकरण के संभावित परिणामों के संबंध में समिति ने आगे कहा कि इसका असर उन कई संविदाकर्मियों पर भी पड़ेगा, जिनकी नौकरी और भविष्य खतरे में पड़ जाएंगे। इसके साथ ही, गरीबों और पिछड़ों को मिलने वाली आरक्षण व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

सांसद इकरा हसन ने विद्युत कर्मचारियों की चिंताओं को ध्यान से सुना और आश्वासन दिया कि वे इस ज्ञापन को राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे और उनकी जायज़ मांगों को गंभीरता से लेंगे। उन्होंने कहा, "यह आवश्यक है कि हम हर एक नागरिक के हित में काम करें और यह सुनिश्चित करें कि बिजली जैसी आवश्यक सेवा किसी भी तरीके से प्राइवेट हाथों में न जाए।"

समिति के सदस्यों ने इस ज्ञापन के माध्यम से एकजुटता का प्रदर्शन किया है और स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों और आम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करते रहेंगे। यह प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो न सिर्फ विद्युत विभाग के कर्मचारियों, बल्कि पूरे समुदाय के हितों के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। 

इस प्रकार, कैराना की विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने अपनी आवाज को उठाकर यह सिद्ध कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण के खिलाफ खड़े होंगे। रिपोर्ट गुलवेज आलम
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