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सीएम योगी पूरे यूपी में कांवड़ मार्ग पर दुकानों का 'नामकरण' क्यों करा रहे? पूरे देश में सियासी उबाल

मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के बाहर मालिकों का नाम लिखने के आदेश के बाद, कुछ दुकानों के नाम बदले जाने लगे हैं। जैसे, 'चाय लवर पॉइंट' का नाम बदलकर 'वकील अहमद टी स्टॉल' कर दिया गया है। वहीं, 'साक्षी ढाबा' से चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है। इसे लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार विपक्ष के निशाने पर है।मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन का एक आदेश योगी सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। सांप्रदायिक फैसला बताकर अखिलेश यादव, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी समेत तमाम विपक्षी दल के नेता प्रदेश की भाजपा सरकार पर बरस पड़े हैं। दरअसल, यहां जिला प्रशासन ने इस बार की कांवड़ यात्रा पर एक नया आदेश जारी किया है, जिससे बखेड़ा खड़ा हो गया है। इस बार कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले खानपान की दुकान, होटल, ढाबे, ठेले आदि जहां से भी शिवभक्त कांवड़िए खाने का सामान खरीद सकते हैं उन सभी को कहा गया है कि वे अपनी दुकानों के बाहर मालिक और काम करने वालों का नाम जरूर लिखें। इससे कांवड़ियों में किसी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन न हो जो विवाद का कारण बन सके।सहारनपुर डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि कांवड़ मार्ग को लेकर जैसा प्रत्येक वर्ष होता रहा है, कुछ लोगों ने इस बात की आपत्ति प्रकट की थी कि जब कांवड़िए आते हैं तो सामान की कीमतों को लेकर विवाद पैदा होता है। इसके साथ ही दुकान किसी और की और नाम किसी और व्यक्ति का लिखा होने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। इसको देखते हुए जितने होटल, ढाबे या फिर जितनी खानपान की दुकाने हैं, सब को यह आदेश जारी किया गया है। इस बार के कांवड़ मेले को लेकर मुजफ्फरनगर एसएसपी अभिषेक सिंह का कहना है कि कांवड़ की तैयारी शुरू हो गई है और हमारे जनपद में लगभग 240 किलोमीटर का कांवड़ मार्ग है। इसमें जितनी भी खान-पान की दुकानें हैं उन सब को यह निर्देष दिया गया है कि अपने मालिक या काम करने वालों के नाम जरूर डिस्प्ले करें। हालांकि, इसे लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इस फैसले पर विरोध जताया है।
अखिलेश यादव ने कहा - आदेश सामाजिक अपराध
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिनके नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे।कांग्रेस ने कहा - ये भारतीय तहजीब पर हमला
कांग्रेस ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश भारतीय तहजीब पर हमला और ‘मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करने’ का प्रयास है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि इस कदम के पीछे का मकसद मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार करने का सामान्यीकरण करना है।ओवैसी ने कहा - योगी में हिटलर की आत्माअसदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में लिखित आदेश जारी करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि लगता है सीएम योगी में हिटलर की आत्मा समा गई है। उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से ‘भेदभावपूर्ण’ आदेश करार दिया और आरोप लगाया कि यह दर्शाता है कि सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे’ का नागरिक बनाना चाहती है।मायावती ने कहा - आदेश एक गलत परंपरा
इस घटना पर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने ‘एक्स’ पर कहा,''पश्चिमी उप्र व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश एक गलत परम्परा है जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले।'' राजीव वर्मा एडवोकेट का बयान सीपीआई नेता राजीव वर्मा एडवोकेट ने कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम प्रदर्शित करने के मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। वर्मा ने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।नकवी की सफाई वहीं इसे लेकर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि एक सीमित प्रशासनिक दिशानिर्देश के कारण इस तरह का असमंजस हुआ था, मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने जो भी सांप्रदायिक भ्रम पैदा हुआ था उसे दूर किया है। जहां तक नाम का सवाल है तो योगी सरकार ने किसी धर्म के लोगों को यह निर्देश नहीं दिया है। ये आदेश सभी दुकानदारों के लिए है। कांवड़ यात्रा के समय श्रद्धालु खाने पीने की कई चीजों से परहेज करते हैं। इसलिए उनकी श्रद्धा का सम्‍मान होना चाहिए। इस पर किसी तरह का सांप्रदायिक भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए। यह किसी के भले के लिए नहीं है।बदले जाने लगे हैं दुकानों के नाम
आदेश के बाद मुजफ्फरनगर में दुकानों के नाम बदलने शुरू हो गए हैं। खतौली बाईपास पर मौजूद एक चाय की दुकान का नाम पहले चाय लवर पॉइंट हुआ करता था मगर उसके मालिक का नाम फहीम है। ऐसे में अब चाय लवर पॉइंट की जगह दुकान का नाम बदलकर वकील अहमद टी स्टॉल कर दिया गया है। खतौली बाईपास पर एक साक्षी ढाबा नाम के ढाबे पर काम कर रहे चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है। जब इस बारे में ढाबे के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के लोग आए थे जिन्होंने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की बात कही जिसके बाद उन्होंने उन चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया है।मामले पर मुजफ्फरनगर पुलिस का बयानआदेश पर बवाल के बाद पुलिस ने कहा कि सभी दुकानदारों से निवेदन किया गया है कि वे अपनी इच्छा से अपनी दुकानों के बाहर अपना और काम करने वाले लोगों का नाम डिस्पले करें। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि कांवड़िय़े सावन में कुछ तरह के खाने का परहेज करते हैं। ऐसा आदेश पारित किया गया ताकि कांवड़ियों में किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन न हो और धार्मिक तनाव से बचा जा सके। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनसे कांवड़ियों में कन्फ्यूजन फैलने से कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी।

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