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जो राम को लाये है हम उनको लाएंगे कहने वाले घमंडी: इमरान मसूद, हम 20 करोड़ है हमे देश से कोई नही निकाल सकता: इमरान मसूद, इमरान मसूद के भाषणों में हिंदुत्व की बयार

नकुड़: सदा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता व गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद ने फिर एक बार अपने चर्चाओ का पिटारा खोल दिया है उन्होंने भाजपा पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया ओर फिर एक बार मुस्लिम कार्ड खेलते हुए फिर से यह साबित करने का प्रयास किया कि वही मुस्लिम के बड़े नेता है। उत्तर प्रदेश की सहारनपुर सीट से प्रत्याशी इमरान मसूद ने इस बार अप्रत्याशित रूप से कहा कि इस देश मे हिन्दू बड़ा भाई व मुसलमान छोटा भाई कहते हुए कहा कि लगातार हिन्दू मुसलमान कहने वाले समझ ले मुस्लिम कही नही जाने वाला, उन्होंने अपने तेवर तल्ख करते हुए कहा राम को लाने वाले लोग घमंडी है उन्होंने कहा कि राम को भी कोई लाता है क्या? भगवान देने वाला है तो तुम उसको लाने वाले कहा से हो गए, उन्होंने कहा कि तुम्हारा यह घमण्ड राम ही तोड़ने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हर बात पर हिन्दू मुसलमान कहने वालों से सावधान हो जाओ मुसलमान को यहां से कोई नही निकल सकता यही नही उन्होंने विख्यात कवि कुमार विश्वास द्वारा एक कथा में रामायण के वक्तव्यता के दौरान दिए गए एक प्रसंग का भी वर्णन करते हुए कहा कि राम ने वनदेवी से कहा कि इस रास्ते के सारे कंकर पत्थर और कांटे हटा देना क्योकि मेरा भाई भरत मुझे ढूंढते हुए आएगा तब उसे पीड़ा होगी। उन्होंने अप्रत्याशित रूप से श्री राम के नाम का सहारा लेते हुए जिस प्रकार के भाषण दिए उसको सार को समझे तो उनका इस जनसभा के माध्यम से एक ही मकसद रहा वह था मुस्लिम को साधना और साथ लगे कुछ हिन्दू मतदाताओ को यह जताना की वह मुसलमानों के पक्ष में है लेकिन हिनुत्व का भी ज्ञान रखते है। बहरहाल चुनाव अपने यौवन पर आने को बेताब है और मुस्लिम वोटो को साधने के लिये बसपा के माजिद अली और गठबंधन के प्रत्याशी इमरान मसूद बेताब है। फिलहाल राजनीतिक सूत्रों की माने तो गठबंधन और बसपा में मुस्लिमो के बिखराव को अपने पक्ष में करने के लिए जहा बसपा दलितों की पार्टी होने का दावा कर मुस्लिमो का हमदर्द बनने के लिए प्रयासरत है वही इमरान मसूद मुस्लिम के साथ हिन्दू मतो को जोड़ कर अपनी राजनीति में मुस्लिमो को साधना चाह रहे है। बहरहाल चुनाव नजदीक है भाजपा के पास उपलब्धिया गिनवाने के लिए एक लंबी चौड़ी नेताओ की फौज है वही मुद्दा विहीन विपक्ष के हाथ खाली, अब सिर्फ एक काम अवश्य बचता नज़र आता है कि सुपर रिन की चमकार की तरह यह साबित किया जाए कि दूसरे की कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यो? 19 अप्रैल को मतदान है और समय कम ऐसे में रक्तचाप बढ़ना भी स्वाभाविक है, फिर भी देखते है क्या होगा?
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