लखनऊ : हमारे भारत में सभी नौकरी पेशा लोगों चाहे वो फर्स्ट क्लास का हो या चौथे क्लास का मुलाजिम हो, उसकी रिटायरमेंट की उम्र तय है। ज्यूडिशियरी हो या कोई और विभाग, रिटायरमेंट की उम्र हर जगह तय है। मगर हमारे मुल्क में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट और एमएलए की रिटायरमेंट की उम्र तय नहीं है। इस लिए मुल्क में नौजवान नेता कम और बुजुर्ग नेता व लीडर अधिक हैं। इस विचार का इज़हार सल्तनत मंजिल,निकट सिटी स्टेशन, हामिद रोड, लखनऊ की इंजिनियर हया फातिमा बिटिया नवाबज़ादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने की। उन्होंने आगे कहा की कोई 80 साल की उम्र में रियासत का मुख्य मंत्री बनने का सुनहरा ख्वाब दिल में संजोए हुए है तो कोई 80 /85 साल की उम्र में प्रधान मंत्री बनने का ख्वाहिशमंद है।
किसी की तबीयत इतनी खराब है की वो ठीक से चल भी नहीं सकता मगर देश की बागडोर संभालने का खयाल दिल में रक्खे हुए है। इंजिनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि जब आम इंसान दुनियावी काम काज से फारिग हो जाता है तो वो रिटायरमेंट के बाद नेता बनने के चक्कर में दिलों जान से लग जाता है। यह बात बिलकुल गलत है, इसे किसी भी हाल में सही करार नहीं दिया जा सकता ? यह सच है की राजनीति पेशा नहीं है बल्कि लोगों की खिदमत करना है। लेकिन अब तो नेता से लेकर आम इंसान तक इसे पेशा ही मान रहे हैं, इसलिए इसमें भी रिटायरमेंट की उम्र जरूर तय हो यह मेरा अपना ज़ाती विचार है।मोबाइल : 9839327074
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