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बुढाना विधानसभा पर अजीबोगरीब स्थिति जहां सपा व रालोद में सीट किसको मिलेगी इसको लेकर जोर आजमाइश चल रही है वही बीजेपी का वर्तमान विधायक भी कैसे बचे, टिकट इसको लेकर लगें है, उधेड़बुन में .......


जहां बुढाना में पिछड़ा सम्मेलन कर समाजवादी अप्रत्यक्ष रूप से रालोद पर दबाव बनाने का कर चुकी है प्रयास सपा के जिलाध्यक्ष आते हैं कि सपा के कोटे में आई विधानसभा सीट, वही रालोद प्रमुख पूर्व में ही रैली कर  बुढाना विधानसभा पर कर चुके हैं अपना दावा पेश इतना ही नहीं केवल गठबंधन में ही हो खींचतान भाजपा में भी जबरदस्त चल रही है उठापटक जहां वर्तमान विधायक उमेश मलिक को टिकट बचाने के लिए करनी पड़ रही है जद्दोजहद, उमेश मलिक के टिकट में सबसे बड़ा रोड़ा उसके पुत्र द्वारा दिया गया देशद्रोही बयान एवं भाजपा के प्रति किसानों का विरोध, भाजपा विधायक को राम कुमार सेहरावत नितिन मलिक 
से मिल रही है।  जबरदस्त फाइट,बीजेपी हर कीमत पर जाट उम्मीदवार को ही देगी बुढ़ाना से टिकट, इसी भाजपा के टिकट के आधार को मांग के समाजवादी चाहती है सीट रहे उनके कोटे में और प्रमोद



त्यागी बने उम्मीदवार, लेकिन रालोद के दो पूर्व विधायकों के बीच में भी टिकट को लेकर जबरदस्त जोर आजमाइश राजपाल बालियान व योगराज सिंह आमने-सामने जहां राजपाल  बालियान के साथ महेंद्र सिंह टिकैत परिवार का समर्थन माना जाता है वही योगराज सिंह का टिकैत  परिवार से विवाद भी किसी से छिपा नहीं है। रालोद के पूर्व विधायक नवाजिश आलम पहले ही छोड़ चुके हैं  बुढाना विधानसभा से अपना दावा अभी उनके सामने भी जबरदस्त दुविधा चुनाव लड़े तो लड़े कहां से, बसपा के पत्ते खुलने से स्थिति स्पष्ट हो पाना मुश्किल, जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ कर चर्चा में आए गौरव त्यागी भी पेश कर सकते हैं रालोद से अपना दावा इससे समाजवादी को लग सकता है झटका,जनपद मुजफ्फरनगर की बुढाना विधानसभा सीट पर अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई है जहां राष्ट्रीय लोक दल व समाजवादी पार्टी दोनों ही अपनी रेलिया कर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बुढाना विधानसभा सीट पर अपना दावा ठोक चुकी है वही बीजेपी के लिए भी

कम दुविधा वाला प्रकरण नहीं है क्योंकि वर्तमान विधायक उमेश मलिक अन्य को घटनाओं के लेकर अपने टिकट को बचाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण लग रहा है कि उनके पुत्र द्वारा पूर्व में दिया गया भारत के प्रति ध्यान व भाजपा के विरुद्ध किसानों का आक्रोश के साथ-साथ क्षेत्र में बीजेपी के गद्दार नेता राम कुमार शेरावत से मिल रही फाइट वही युवाओं में कम लोकप्रिय नहीं है नितिन मलिक भी उनकी भी दावेदारी प्रबल मानी जा रही है लेकिन किसी भी हद तक यदि बीजेपी में देखा जाए तो वरुण मलिक खरड़ निवासी का भी वजूद कम नहीं है या भाजपा के किसान मोर्चा में बड़े पद पर कार्यरत हैं वही मोहित बेनीवाल

से उनकी नजदीकी अभी किसी से छिपी नहीं है ऐसे में वरुण मलिक को भी कम आंकना मूर्खता होगी यह तो बात थी बीजेपी की आप किसको टिकट मिलेगा किसको नहीं यह तो बीजेपी ही निर्धारित करेगी लेकिन यह वास्तविक सच्चाई है कि वर्तमान विधायक अपने टिकट को बचाने को लेकर दुविधा में है लगे हैं उधेड़बुन में कैसे बचे टिकट, कब बात यदि सपा रालोद गठबंधन की करें तो उक्त विधानसभा सीट पर हमेशा से ही रालोद का दबदबा रहा है लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी के उम्मीदवार प्रमोद त्यागी ने भी अपनी  ताकत एवं जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई थी उस उपस्थिति को नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं होगा और अब सपा प्रमुख का पिछड़ा सम्मेलन भी कहीं ना कहीं अप्रत्यक्ष रूप से रालोद पर दबाव बनाने का एक प्रयास था लेकिन

रालोद पूर्व में ही पंचायत नहीं रैली कर सीट पर ठोक चुके अपना दावा और दवाई नहीं दो प्रमुख नेताओं में टिकट को लेकर चल रही है जोर आजमाइश या एक को यानी सीधा कहिए कि राजपाल बालियान को अपनी टिकट परिवार से नजदीकियों के चलते टिकट मिलने का है पूरा भरोसा वही टिकट परिवार के धुर विरोधी पूर्व मंत्री  योगराज सिंह भी क्षेत्र में  अपनी सक्रियता एवं जयंत चौधरी से नजदीकियों के चलते टिकट मिलने के लिए पुरे विश्वास में नजर आ रहे हैं ।

लेकिन सबसे कुछ अलग ही नजर आए पूर्व विधायक नवाजिश आलम जो कि पूर्व सांसद के पुत्र होने के बावजूद भी जबरदस्त दावेदार के रूप में एक बार चर्चाओं में आए थे बुढाना विधानसभा में लेकिन बुढ़ाना विधानसभा पर नजर आ रही खींचतान के चलते ही स्वयं ही लाइन से हट गई अभी से समझदारी कहिए या कुछ और यह आप निर्भर करता है लेकिन इतना आसान नहीं है। बसपा द्वारा  बुढाना विधानसभा पर अपने पत्ते नहीं खोले जाने से भी सभी पार्टी है इसमें की बहुजन समाज पार्टी या वैसे तो वर्तमान में कोई वजूद नहीं रखती लेकिन पूर्व में योगराज सिंह यहीं से विधायक और  मंत्री बन चुके हैं बसपा को हल्के में लेना मूर्खता होगी, जिला पंचायत

अध्यक्ष का चुनाव लड़ कर चर्चा में आए गौरव त्यागी भी एक बार फिर से सक्रिय राजनीति तरफ लोग के नजर आ रहे हैं यदि जानकार सूत्रों की माने तो रालोद से अपना दावा ठोक रहे हैं टिकट का उनका दावा ठोकने से त्यागी समीकरण पर कहीं ना कहीं समाजवादी दो कदम पीछे हटती नजर आ रही है अब देखना यह होगा कि उठाना विधानसभा पर किस

को किस पार्टी से मिलेगा टिकट किसका कटेगा टिकट आगे होगा क्या यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि आज बुढाना विधानसभा पर क्या कोई पार्टी प्रमुख हो या कोई टिकट के दावेदार हर कोई दुविधा में और अपना समीकरण बैठाने में दिन-रात एक कर रहे हैं किसकी मेहनत रंग लाएगी अभी यह कह पाना मुश्किल है लेकिन जो मेहनत करेगा कामयाबी उसी के हाथ लगेगी यह निश्चित है।

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