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धर्मसंघ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आध्यात्मिक उपस्थिति: स्वामी करपात्री जी को श्रद्धांजलि और साधु-संतों से संवाद

लेखक: ज़मीर आलम | स्रोत: विधायक दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका


वाराणसी | दिनांक: 28 जुलाई 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जीवन जहां राजनीति से प्रेरित है, वहीं उसका मूल आधार आध्यात्मिकता और सनातन परंपरा में रचा-बसा है। इसी आध्यात्मिक आग्रह का साक्षी बना वाराणसी का धर्मसंघ, जहां योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की शाम धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज को उनके 118वें प्राकट्योत्सव पर नमन करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।


तपोभूमि में मुख्यमंत्री की विनम्र भेंट

सायं 7:45 बजे, जब मुख्यमंत्री दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ मंदिर परिसर पहुँचे, तो उनका स्वागत न केवल मंदिर के साधु-संतों ने किया, बल्कि वातावरण भी उस पल को पवित्र बना रहा था। मुख्यमंत्री सबसे पहले मणि मंदिर पहुँचे, जहां उन्होंने श्रीराम दरबार के दर्शन कर प्रभु राम के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित की। इसके पश्चात उन्होंने मंदिर में स्थित 5 फीट ऊँचे नर्वदेश्वर शिवलिंग का पूजन कर विधिवत आरती की।


करपात्री प्रतिमा पर माल्यार्पण

मंदिर परिसर के बाग़ में स्थित करपात्री जी की भव्य प्रतिमा पर मुख्यमंत्री ने माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। यह क्षण केवल एक श्रद्धा का नहीं, बल्कि सनातन परंपरा के उस महान संत के प्रति आस्था और सम्मान का प्रतीक था जिन्होंने धर्मराज्य की संकल्पना को लेकर भारतवर्ष में वैदिक जीवनशैली के पुनरुत्थान हेतु संघर्ष किया।


धार्मिक प्रतीकों की भेंट और सम्मान

मुख्यमंत्री को इस अवसर पर धर्मसंघ के वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी एवं महामंत्री पं. जगजीतन पाण्डेय द्वारा विशेष रूप से त्रिशूल, दुशाला, तथा स्मृति-चिह्न भेंट किए गए। यह त्रिशूल एक धार्मिक प्रतीक के रूप में भेंट किया गया, जो मुख्यमंत्री के वैराग्य और शक्ति के समन्वय का प्रतिनिधित्व करता है।


गौसेवा और निर्माण कार्यों का निरीक्षण

इसके उपरांत मुख्यमंत्री ने धर्मसंघ परिसर में निर्माणाधीन भवन का निरीक्षण किया। इसके साथ ही उन्होंने करपात्री गौशाला में जाकर गौमाता की सेवा की और स्वामी शंकरदेव चैतन्य के साथ स्वयं गायों को चारा खिलाकर सनातन संस्कृति में गौसेवा की परंपरा को सजीव किया।


काशी के विद्वानों से संवाद

इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने काशी के प्रमुख संस्कृत विद्वानों से भेंट की।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा, प्रो. हृदय रंजन शर्मा, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, करपात्री गौरव सम्मान से अलंकृत प्रो. उपेंद्र पाण्डेय और प्रो. उपेंद्र तिवारी समेत कई आचार्यों ने मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श किया।


धर्म और सत्ता का समन्वय

यह यात्रा केवल एक श्रद्धांजलि नहीं थी, बल्कि यह दर्शाती है कि सत्ता और साधना जब एक साथ चलें तो राष्ट्र की दिशा सकारात्मक और संस्कारित होती है। योगी आदित्यनाथ न केवल एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं, बल्कि वह उस परंपरा के वाहक भी हैं जो भारत के अध्यात्म को जीवित रखे हुए है।


विधायक दर्पण का निष्कर्ष

मुख्यमंत्री का यह दौरा न केवल धार्मिक दृष्टि से प्रेरणास्पद रहा, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि आज के शासक जब धर्म की धरती पर सिर नवाते हैं, तो वे जन-मन में विश्वास, श्रद्धा और सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित करते हैं।


लेखक संपर्क:
ज़मीर आलम
प्रधान संपादक, विधायक दर्पण
📞 8010884848
🌐 www.vidhayakdarpan.in
📧 vidhayakdarpan@gmail.com


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