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जन अपेक्षाओं पर खरा उतरना सरकार की प्राथमिकता, धरातल पर दिखें योजनाएं: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या एवं देवीपाटन मंडल के जनप्रतिनिधियों, लोक निर्माण विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की*

मुख्यमंत्री ने कहा- पंचायत, नगर निकायों से लेकर विधानसभा स्तर तक अपनाई जाए समन्वय, संवाद और संरचना आधारित कार्य संस्कृति*

मुख्यमंत्री ने कहा- सीएम ग्रिड योजना और नगर निकायों को अलग से दी गई धनराशि का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो*
 
*मुख्यमंत्री ने कहा- ग्रामीण अंचलों में पेयजल, जलनिकासी और सड़कों के निर्माण को दी जाए गति*
 
*बोले मुख्यमंत्री- प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक पर्यटन स्थल चिन्हित कर, कराएं सौंदर्यीकरण के कार्य*
 
मुख्यमंत्री ने कहा- सेतुओं के निर्माण को ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना’ से जोड़े*
 
*बोले मुख्यमंत्री- बाढ़/आपदा प्रभावित क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर को दी जाए प्राथमिकता, समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण हो कार्य*
 
26 जुलाई, लखनऊ।* उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अयोध्या एवं देवीपाटन मंडल के जनप्रतिनिधियों, लोक निर्माण विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य, जनप्रतिनिधियों से सीधे संवाद स्थापित कर उनकी प्राथमिकताओं और जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों की गति और गुणवत्ता सुनिश्चित करना था।
 
बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि प्रदेश सरकार केवल योजनाएं बनाकर ही नहीं रुकती, बल्कि उन योजनाओं को धरातल पर उतारने और जनता तक लाभ पहुंचाने में भी विश्वास करती है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए शासन और जनप्रतिनिधियों के बीच सशक्त संवाद आवश्यक है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नगर निकायों को अलग से वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराती है और सीएम ग्रिड योजना के माध्यम से नगरों के समग्र विकास को नई दिशा दी जा रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि नगर निगम एवं नगर निकाय अपने-अपने क्षेत्र में संचालित विकास योजनाओं की समीक्षा करते समय स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अवश्य शामिल करें। जनप्रतिनिधियों को योजनाओं की जानकारी देना, उनके सुझावों को शामिल करना और कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।
 
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि जिन नगर निकाय क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया गया है, वहां पर विशेष ध्यान दिया जाए। इन नए शहरीकृत गांवों में पेयजल, जलनिकासी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं प्राथमिकता से पूरी कराई जाएं ताकि नगरीय सुविधा और ग्रामीण पहचान के बीच सामंजस्य बना रहे।
 
उन्होंने निर्देश दिए कि जिला मुख्यालयों को फोर लेन और ब्लॉक मुख्यालयों को कम से कम दो लेन की सड़कों से जोड़ने का कार्य तेज़ी से किया जाए। इसके साथ ही, सभी विभाग ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर उन्हें तत्काल ठीक कराने के लिए समन्वित प्रयास करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल विभाग की ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि शासन की संवेदनशीलता का परिचायक है।
 
सड़क अवसंरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की सड़कों की चौड़ाई को 3.5 मीटर से बढ़ाकर 5 मीटर किया जा रहा है। इससे न केवल यातायात अधिक सुरक्षित और सुगम होगा, बल्कि आपातकालीन सेवाएं जैसे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की पहुँच भी तेज़ हो सकेगी। यह निर्णय शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
 
बैठक में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को निर्देशित किया गया कि प्रदेश की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटन स्थल चिन्हित किया जाए और वहां पर सौंदर्यीकरण के साथ-साथ जनसुविधाओं का विकास किया जाए। इससे स्थानीय पर्यटन को बल मिलेगा और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
 
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि सेतुओं के निर्माण को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना से जोड़ा जाए। यह योजना विभिन्न अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के समन्वय को सुदृढ़ करने का एक राष्ट्रीय मॉडल है। इसके अंतर्गत सेतु निर्माण कार्यों को तीव्रता से आगे बढ़ाया जा सकता है और वित्तीय संसाधनों का भी समुचित उपयोग सुनिश्चित होता है।
 
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केवल लोक निर्माण विभाग ही नहीं, बल्कि सभी विभाग- चाहे वह नगर विकास हो, जल शक्ति हो या पर्यटन विभाग अपनी कार्ययोजनाएं तैयार करते समय जनप्रतिनिधियों से संवाद स्थापित करें। इससे योजनाएं ज़मीन से जुड़ेंगी और वास्तविक समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
 
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं में शामिल किया जाए। जो कार्य योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं, उनकी टेंडर प्रक्रिया तत्काल पूर्ण की जाए और मानसून के बाद जनप्रतिनिधियों के कर-कमलों से उनका भूमि पूजन कराया जाए। इससे न केवल विकास कार्यों को गति मिलेगी बल्कि जनसहभागिता और उत्तरदायित्व की भावना भी सशक्त होगी।
 
मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को उनके क्षेत्रों की जनता से निरंतर संवाद बनाए रखने, योजनाओं की जानकारी देने और शासन तक जनता की समस्याएं पहुंचाने की जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शासन और जनता के बीच सेतु की भूमिका निभाते हुए जनप्रतिनिधि पारदर्शिता और जवाबदेही की मिसाल बनें।
 
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने उन क्षेत्रों का विशेष उल्लेख किया जो हाल ही में बाढ़ या किसी अन्य आपदा से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी जाए और संबंधित योजनाओं को समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरा किया जाए।
 
बैठक के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संवाद और समीक्षा केवल एक बैठक नहीं, बल्कि शासन के नई कार्य संस्कृति का संकेत है, जहां योजनाएं सिर्फ फाइलों में नहीं, जनता के जीवन में बदलाव लाने वाली साबित हों। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस संवाद मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया जाए, ताकि “सबका साथ, सबका विकास” और “सबका विश्वास” का मंत्र हर योजना, हर कार्य में परिलक्षित हो। "विधायक दर्पण" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए लखनऊ,, उत्तर प्रदेश से ज़मीर आलम की रिपोर्ट 
#vidhayakdarpan 
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