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संगठन की महत्त्वता

एक आदमी,जो हमेशा अपने संगठन के साथ घुल मिल कर रहता था और बैठकें करता था, अचानक बिना किसी को बताए सबसे मिलना जुलना बंद कर दिया।

कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस संगठन के नेता ने उससे मिलने का फैसला किया।

वह नेता उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक गोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक नेता का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।

दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे।

कुछ देर के बाद आगंतुक ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया। और फिर से शांत बैठ गया।

मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने संगठन के एक मित्र के साथ है।   

लेकिन उसने देखा कि अलग की हुए लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई।

कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था।

इस बीच दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त वार्तालाप किया, कम से कम शब्द बोले।

जानें से पहले नेता ने अलग की हुई बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी, और चारों ओर रोशनी और ताप बिखेरने लगी।

जब मित्र नेता को छोड़ने के लिए मेजबान दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मित्र से कहा : आप मेरे घर मुलाकात करने के लिए आये। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
*आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है। अब मैं अकेला नहीं हूं। जल्द ही संगठन में लौटूंगा।*

प्रश्न..
नेता ने क्यों बुझाया उस एक लकड़ी की आग को..?

बहुत सरल है समझना..

*संगठन का प्रत्येक सदस्य महत्वपूर्ण होता है। कुछ न कुछ विशेषताएं हर सदस्य में होती है। दूसरे सदस्य उनकी विशेषताओं से उर्जा प्राप्त करते हैं। आग और गर्मी के महत्त्व की सीख लेते हैं और देते हैं।*

इस ग्रुप के सभी सदस्य भी *लौ* का हिस्सा हैं।कृपया एक दूसरे की लौ जलाए रखें ताकि एक मजबूत और प्रभावी ग्रुप बना रहे।



*🌸हम बदलेंगे,युग बदलेगा*🌸
#मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट #

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